सरकार, पुलिस कमिश्नर को वाराणसी कोर्ट ने भेजा नोटिस, मामला लंका थाने का

पाक्सो एक्ट के तहत थाने की हवालात में बंद किये गये थे तीन आरोपित

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वाराणसी के लंका थाने की हवालात में पाक्सो और भारतीय दंड संहिता के तहत गंभीर अपराध में बंद आरोपितों को गैर कानूनी ढंग से छोड़ने के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने प्रदेश सरकार और पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया है. अब इस मामले में अगली सुनवाई दो अगस्त को होगी. आरोप है कि आरोपितों की गिरफ्तारी रिकॉर्ड में नही दिखाई गई और उन्हें गैरकानूनी ढंग से छोड़ दिया गया. इस मामले में वादी के वकील ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अपनी दलील प्रस्तुत की. मामला लंका थाने के अधिकारियों के कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही और शिकायतकर्ता को धमकाने से सम्बंधित है.

लंका एसएचओ को भी बनाया गया प्रतिवादी

प्रार्थना पत्र के अनुसार मामला यह है कि पिछले 2 जून को एक घटना में दर्ज प्राथमिकी के तहत तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद उन्हें थाने की हवालात में रखा गया था. इसके बाद बिना उचित कानूनी प्रक्रिया को अपनाये दो आरोपितों को पुलिस ने छोड़ दिया. पुलिस रिकॉर्ड में केवल एक आरोपित की गिरफ्तारी दिखाई गई. जबकि तीन आरोपितों को लॉकअप में बंद किया गया था. अधिवक्ता की ओर से कोर्ट में दिये गये प्रार्थना पत्र में उत्तर प्रदेश सरकार, पुलिस आयुक्त वाराणसी, सहायक पुलिस आयुक्त भेलूपुर, लंका थाने के एसएचओ और अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है. अधिकारियों ने मामले में दोषी अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. इसके साथ ही मामले की सीबीसीआईडी से जांच कराने की मांग की गई है.

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