गोवर्धन पूजा आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन – विधि और महत्व

0

दिवाली के पांच दिवसीय पर्व के तीसरे दिन मनाया जाने वाला त्यौहार गोवर्धन पूजा इस साल दिवाली के दूसरे दिन के बजाय आज मनाया जा रहा है, दरअसल, इस साल दिवाली के दूसरे दिन स्नान दान श्राद्ध की सोमवती अमावस्या सोमवार 13 नवंबर पड़ी थी, जो एक अतिरिक्त तिथि थी. जिसकी वजह से यह पूजा दिवाली के दूसरे दिन के बजाय तीसरे दिन पड़ रही है. गोवर्धन पूजा की तिथि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा की शुरुआत 13 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से हुई थी. इस तिथि का समापन आज 14 नवंबर दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर हो रहा है. इसलिए उदया तिथि को देखते हुए गोवर्धन पूजा 14 नवंबर को मनाई जा रही है.

गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त

14 नवंबर 2023, मंगलवार को गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 43 मिनट से सुबह 8 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. इस दिन भी शुभ योग बनेंगे. गोवर्धन पूजा पर शोभन योग सुबह 1 बजे 57 मिनट से दोपहर 1 बजे 57 मिनट तक चलता है, इसके बाद अतिगंड योग शुरू होगा. अतिगंड योग अच्छा नहीं है. यद्यपि शोभन योग एक शुभ योग है, गोवर्धन पूजा के दिन सुबह से ही अनुराधा नक्षत्र होगा.

गोवर्धन पूजा की विधि

  • गोवर्धन पूजा के दिन सुबह स्नान करना चाहिए।
  • फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत बनाएं।
  • गाय, बछड़े और अन्य पशुओं की आकृतियों को भी बनाएं।
  • फिर धूप-दीप और अन्य साधनों से पूजा करें।
  • दुग्ध से भगवान कृष्ण को स्नान करने के बाद उनका पूजन करें।
  • इसके बाद अन्नकूट खाओ।

गोवर्धन पूजा का महत्व

हिंदू धर्म में गोवर्धन पूजा विशेष महत्व माना गया है. यह पूजा भगवान कृष्ण से जुड़ी हजारों लीलाओं में से एक के उपलक्ष्य में मनाई जाती है. इतना ही नहीं इस पूजा की शुरूआत भी भगवान कृष्ण ने ही की थी. इसके पीछे की कथा में बताते है कि, इंद्रदेव के क्रोध से ब्रजवासियों और पशु पक्षियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया था. यही कारण है कि गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण के पूजन का भी विधान है. इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है.

also read : गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण को होती है समर्पित

गोवर्धन पूजा करने के कारण और लाभ

जब भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्रदेव की जगह गोवर्धन और गायों की पूजा करने की सलाह दी थी, तो उन्होंने लोगों को इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को सात दिन तक अपनी उंगली पर उठाकर उन्हे इन्द्र के क्रोध से बचाया था. तब से यह पूजा की जाती है. इस दिन लोग भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित करते हैं. गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से पूजा करने वाले व्यक्ति को अपने इच्छानुसार फल भी मिलता है.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More