बलात्कार के खिलाफ लड़कियों ने बुलंद की आवाज, माथे पर काली पट्टी बांधकर किया विरोध

राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कहा- अपने ही देश में हम सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे

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वाराणसी के रविदास गेट पर मंगलवार को ऐपवा यंग गर्ल्स से जुड़ी लडकियों ने बलात्कार के खिलाफ़ और नारी सम्मान के लिए विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान नुक्कड़ नाटक, गीत, कविता के जरिए लोगों को जागरूक किया गया. इस दौरान माथे पर काली पट्टी बांधे प्रदर्शनकारियों ने पिछले साल आईआईटी बीएचयू में बीटेक की छात्रा से गैंगरेप के आरोपितों को सात माह में जमानत दिये जाने पर सरकार पर गंभीर सवाल उठाये. ऐपवा यंग गर्ल्स की लडकियों ने भारत की राष्ट्रपति को पत्र लिखकर बताया कि बढ़ती बलात्कार की घटना से वह भयभीत हैं और उनका मन पढ़ाई में नहीं लग पा रहा है. वह अपने ही देश में सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं.

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आरोपितों को मिले कड़ी सजा

लड़कियों ने महामहिम राष्ट्रपति से मांग की कि उनके भय को समाप्त कर राष्ट्रपति बलात्कारियों की रिहाई को रुकवाएंगी और आरोपितों को कड़ी सजा मिलेगी. ऐपवा सहसचिव सुजाता भट्टाचार्य द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक में एक बलात्कार पीड़िता के न्याय की कहानी को यथार्थ के माध्यम से उठाया गया जहां पीड़िता को पुलिस, वकील, मीडिया, राजनेता के जरिए भी न्याय नहीं मिलता. अंततः महिला संगठन के जरिए महिलाओं को एकजुट करके संगठन बनाकर ही अपना और अपने देश की तमाम महिलाओं के लिए उसे न्याय का रास्ता समझ आता है.

आजादी गीत और कविता पाठ के जरिए किया जागरूक

कार्यक्रम में बीएचयू की छात्रा सोनाली ने कविता के माध्यम से बलात्कार की संस्कृति पर चोट की. रूपाली ने बैखौफ आज़ादी गीत प्रस्तुत किया. ऐपवा यंग गर्ल्स से भी लड़कियों ने कविता पाठ किया. इस दौरान अंशु ने स्त्री केंद्रित कविता का पाठ किया. ऐपवा जिला सचिव स्मिता ने कहाकि सरकार एक तरफ बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ के जोशीले नारे तो लगा रही है, लेकिन महिला सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम करने में फेल साबित होती जा रही है; आरोप लगाया कि सरकार बलात्कारियों को संरक्षण देकर उन्हें जेल से रिहा करा रही है. आईआईटी बीएचयू में हाल में हुई बलात्कार की घटना में बलात्कार के आरोपितों को सात माह में ही जमानत मिल गई. पीड़िता के हिस्से न्याय नहीं बल्कि डर आया है.

सरकार और भारतीय न्याय व्यवस्था पर खड़े किये सवाल

ऐपवा प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहाकि समाज में आम लोगो के अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले लोग जेल में बंद हैं. जिनके अपराध भी सिद्ध नहीं हुए है उन्हें जमानत नहीं मिल पा रही है, लेकिन जिनके ऊपर बलात्कार का आरोप कानूनी तौर पर सिद्ध हो चुका है वह जेल से रिहा कर दिए जा रहे हैं. यानी बलात्कार कोई अपराध की श्रेणी में नहीं आता. कहाकि यह तमाम बातें हमारी सरकार और भारतीय न्याय व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करती हैं. कार्यक्रम में ऐपवा सह सचिव सुजाता भट्टाचार्य, विभा वाही, उपाध्यक्ष विभा प्रभाकर, प्रज्ञा, प्रिया, छाया, प्रियांशी, मानसी, रानी, खुशबू, करीना, नैना तनीषा, सविता, शीला, कमली, दिलकश, प्रो बलराज पांडेय, किसान नेता राजेंद्र चौधरी आदि रहे. धन्यवाद ज्ञापन ऐपवा अध्यक्ष सुतपा गुप्ता ने किया.

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