बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के डीपफेक के झांसे में आकर डॉक्टर ने गंवाए 7 लाख रूपए…
मामले की जांच में जुटी पुलिस..
एआई तकनीकी का इस्तेमाल करके डीपफेक वीडियो बनाना आम बात हो गयी है, लगभग हर सेलिब्रिटी आज इसका शिकार हो रहा है. इसी क्रम में मुंबई से डीपफेक से ठगी का एक नया मामला सामने आया है, जिसमें ठगों न मशहूर बिजनेसमैन मुकेश अंबानी के डीपफेक का इस्तेमाल करके ठगी को अंजाम दिया है. दरअसल, मुकेश अंबानी का डीपफेक का झांसा देकर आरोपियों ने मुंबई की एक डॉक्टर से 7 लाख रुपये की ठगी की है. इस मामले में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420 और 66(D) आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करके मामले की जांच शुरू कर दी है.
15 अप्रैल से 17 जून के बीच हुई ठगी
जिस महिला के साथ ठगी का यह मामला सामने आया है, वह एक आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं और मुंबई के अंधेरे इलाके में रहती हैं. पीड़ित महिला शेयर ट्रेडिंग में घोटाले का शिकार हुई है. यह ठगी 15 अप्रैल से 17 जून के बीच की गयी है. पीडित महिला ने शिकायत में बताया है कि, 15 अप्रैल की रात वह अपने घर पर बैठकर मोबाइल पर रील देख रही थी, तभी मुकेश अंबानी का डीपफेक वीडियो अचानक उसके इंस्टाग्राम पेज पर दिखाई दिया. इस वीडियो में राजीव शर्मा ट्रेड ग्रुप कंपनी की प्रशंसा की गई थी, लोगों को बीएसएफ निवेश अकादमी में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जा रहा था, जिससे उच्च लाभ मिलने की बात कही गयी थी.
पीडिता के मुताबिक, इस रील के वीडियो के साथ एक लिंक भी भेजा गया था, जिससे महिला डॉक्टर को एक वाट्सएप ग्रुप में जुड़ गयी थी. बातचीत के दौरान महिला डॉक्टर को भरोसा और लाभ का लालच दिया गया. इसके बाद कंपनी की वेबसाइट पर एस्कॉर्ट्स सिक्योरिटीज ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा और अच्छे रिफंड की पेशकश करते हुए विभिन्न बैंकों में 7.1 लाख रुपये ट्रांसफऱ करवाए गए.
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पैसे रिटर्न न आने पर हुआ ठगी का एहसास
महिला डॉक्टर ने ट्रेडिंग वेबसाइट पर अपने शुरुआती निवेश पर 30 लाख रुपये का लाभ निकालने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने धन देने से इनकार कर दिया और सेवा शुल्क के रूप में 3,43,634 रुपये को विभिन्न 16 बैंक अकाउंटों में भुगतान करने को कहा गया था. साथ ही उन्होंने कहा कि, अगर वे भुगतान नहीं करेंगे तो एस्कॉर्ट्स सिक्योरिटीज ऐप पर उनका 30 लाख रुपये का जमा खाता बंद हो जाएगा.
इस प्रकार जब महिला के पैसे रिटर्न नहीं मिले तो, उसे ठगी का एहसास हुआ और उसे लगा की 15 अप्रैल को जिस वीडियों को उसने देखा है वह वीडियो डीपफेक हो सकता है. इसके बाद महिला ने डॉक्टर ने नजदीकी पुलिस स्टेशन में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज करवा दी है. वहीं इस मामले को लेकर पुलिस प्रशासन ने कहा है कि, ”जालसाजों ने वीडियो बनाने के लिए डीपफेक तकनीक का इस्तेमाल किया था”