घोसी सांसद अतुल राय : न घर के रहे न घाट के……

महज तीन दिन ही वह संसद का मुंह देख सके. बाकी समय जेल, कचहरी और दिन बहुरने की उम्मीद में ही समय कट गया.

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घोसी से सांसद चुने जाने के बाद बाहुबली अतुल राय का बसपा ने आखिरी समय में टिकट काट दिया. चुनाव जीतने के बाद मुकदमों के चक्कर और जेल यात्रा में ही अधिकतर समय बीत गया. महज तीन दिन ही वह संसद का मुंह देख सके. बाकी समय जेल, कचहरी और दिन बहुरने की उम्मीद में ही समय कट गया. चुनाव के आखिरी दौर में बसपा ने भी साथ छोड़ दिया. बसपा ने पांच दिन पूर्व कांग्रेस छोड़कर बसपा का दामन थामने वाले पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को घोसी से प्रत्याशी घोषित कर दिया. अब टिकट से भी अतुल राय का पत्ता साफ हो जाने के बाद सियासी हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म है. लोग उसी पुरानी कहावत को एक बार फिर दोहराते फिर रहे हैं कि, न खुदा ही मिला न विसाले सनम, न इधर के रहे न उधर के. बसपा सांसद अतुल राय देश में इकलौते ऐसे सांसद हैं जो 17वीं लोकसभा के पांच वर्ष के 15 सत्रों में महज तीन दिन ही संसद में अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाए. इसके साथ ही अतुल राय के नाम यह रिकॉर्ड भी है कि वह सांसद चुने जाने के बाद से अब तक अपने संसदीय क्षेत्र की जनता के बीच एक दिन भी नहीं गुजार पाए.

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जरायम की दुनिया से राजनीति में प्रवेश

अतुल राय का जरायम जगत से ज्यादा और राजनीति से नाता कम रहा. लेकिन जरायम के रास्ते ही राजनीति में पदार्पण हुआ. यह अलग बात है कि अतुल राय पर गंभीर से गंभीर आरोप लगे और वह उससे बचते गये. मई 2019 में एक महिला ने अतुल राय पर वाराणसी स्थित उनके घर पर बलात्कार का आरोप लगाया था. अतुल राय सफाई देते रहे लेकिन एक महीने के बाद गिरफ्तार कर लिये गये. तब से जेल में हैं. नवम्बर 2020 में अतुल राय के भाई ने पीड़िता पर जालसाजी का आरोप लगाया और शिकायत दर्ज कराई थी. ऐसे में महिला ने इस कार्रवाई को उत्पीड़न और बलात्कार के आरोप को वापस लेने के लिए विवश करने का प्रयास बताया. बाद में अदालत ने अगस्त 2021 में अतुल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया.

पुरूष मित्र के साथ फेसबुक लाइव होकर दिल्ली में किया था आत्मदाह

दोनों तरफ से पेशबंदी और अधिकारियों द्वारा पीड़िता की बात न सुनने के कारण महिला हताशा की शिकार हो गई. इसके बाद महिला अपने पुरुष मित्र के साथ दिल्ली पहुंची और 16 अगस्त 2021 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के बाहर फेसबुक पर लाइव होकर दोनों ने आत्मदाह कर लिया. खुद को आग लगाने से पहले दोनों ने तत्कालीन वाराणसी एसएसपी अमित पाठक, सीओ भेलूपुर अमरेंद्र सिंह और एमपीएमएलए कोर्ट प्रयागराज के एक न्यायाधीश सहित कई पुलिस अधिकारियों का नाम लिया और उन पर श्री राय के साथ मिलकर साजिश रचने का आरोप लगाया. महिला के पुरूष मित्र की 21 अगस्त 2021 को अस्पताल में और महिला 24 अगस्त की शाम मौत हो गई. इस घटना के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार के आदेश पर राय और पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ. जबकि अमिताभ ठाकुर ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. बेहद विवादास्पद तरीके से एफआईआर दर्ज होने के तत्काल बाद अमिताभ ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया गया. उस समय ठाकुर ने इसे लक्षित और चयनात्मक राजनीतिक प्रतिशोध बताया था. मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन है.

सीओ की हुई गिरफ्तारी, एसपी सिटी का निलम्बन

घोसी सांसद अतुल राय और दुष्कर्म पीड़िता प्रकरण की जांच एसआईटी को सौंपी गई. पीड़िता के फेसबुक वीडियो पर बयान के आधार पर एसआईटी ने अपनी जांच में कई पुलिसकर्मियों को दोषी पाया. जांच के बाद पुलिस अधिकारियों पर उस समय कार्रवाई से खलबली मच गई. निलंबित सीओ अमरेश सिंह बघेल की गिरफ्तारी के बाद पुलिसकर्मियों बेचैनी बढ़ गई. बनारस में एसपी सिटी और एडीसीपी काशी जोन रहे विकास चंद्र त्रिपाठी के निलंबन की कार्रवाई के बाद तो महकमे में बेचैनी और बढ़ गई. इससे पहले तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक की लापरवाही का उल्लेख एसआईटी कर चुकी थी. इस मामले में दो पुलिसकर्मी भी निलंबित कर दिये गये.

जांच में बरती गई गंभीर लापरवाही

वाराणसी कमिश्नरेट बनने के बाद आईपीएस अधिकारियों की फौज शहर में उतर गई. इसके बावजूद इस मामले में किसी अधिकारी ने गंभीरता से संज्ञान नहीं लिया. क्या रिपोर्ट लग रही, किसकी जांच कौन कर रहा इसे जैसे-तैसे ही निपटाने की कोशिश होती रही. दुष्कर्म पीड़िता आरोप लगाती रही कि कमिश्नरेट बनने के बाद पुलिस उच्चाधिकारियों ने फोन नम्बर तक ब्लॉक कर दिये. आत्मदाह से पहले तक कमिश्नरेट पुलिस के अधिकारी उनको सुनने को भी तैयार नहीं थे. दरअसल, सांसद अतुल राय के पिता भरत सिंह ने शिकायती पत्र एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी को सौंपा था. इसेएसपी सिटी ने तत्कालीन सीओ भेलूपुर अमरेश सिंह बघेल को जांच के लिए आगे बढ़ाया था. जांच पूरी करने के बाद आठ अगस्त 2020 को अमरेश सिंह बघेल ने 11 पन्ने की रिपोर्ट की फाइल एसपी सिटी को सौंपी थी. इस फाइल को विकास चंद्र त्रिपाठी ने अपने पास रखी थी. पीड़िता ने उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई तो अमरेश सिंह बघेल दिसंबर 2020 में निलंबित कर दिए गए.

दुष्कर्म पीड़िता मामले में कब-कब क्या हुआ

– एक मई 2019 को पीड़िता ने लंका थाने में अतुल राय के खिलाफ दर्ज कराया दुष्कर्म का मुकदमा
– 22 जून 2019 को अतुल राय ने कोर्ट में किया आत्मसमर्पण
– आठ अगस्त 2020 को सीओ भेलूपुर रहते हुए अमरेश सिंह बघेल ने दी सांसद को क्लीन चिट
– 30 दिसंबर 2020 को शासन ने सीओ अमरेश सिंह बघेल को किया निलंबित
– 16 अगस्त 2021 को गवाह और दुष्कर्म पीड़िता ने नई दिल्ली में किया आत्मदाह
– 16 अगस्त 2021 को प्रदेश सरकार ने पुलिस महानिदेशक और अपर पुलिस महानिदेशक स्तर के दो अधिकारियों को प्रकरण की जांच सौंपी
– 16 अगस्त को एसएसपी वाराणसी रहे अमित पाठक को गाजियाबाद पुलिस कप्तान के पद से हटाकर डीजीपी कार्यालय से सम्बंद्ध किया गया
– 17 अगस्त को तत्कालीन इंस्पेक्टर कैंट राकेश सिंह और गिरिजा शंकर यादव को निलंबित कर दिया गया
– 21 अगस्त को गवाह साथी की नई दिल्ली स्थित राममनोहर लोहिया अस्पताल में उपचार के दौरान मौत
– 24 अगस्त को दुष्कर्म पीड़िता ने नई दिल्ली स्थित राममनोहर लोहिया अस्पताल में तोड़ दिया था दम
– 28 अगस्त को एसआईटी पहुंची थी बनारस, एडीजी से लेकर इंस्पेक्टर तक के 11 लोगों का लिया था बयान

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