बागी से संसद तक – फूलन देवी का साहिसक सफर! 37 साल में हो गई थी हत्या
प्रमाणिक है कि महिलाओं के भीतर निर्मलता और कोमलता का वास होता है। लेकिन भारत के इतिहास के पन्नों में एक ऐसी महिला का नाम दर्ज है, जिसके हृदय में दया की जगह केवल धधकता लावा भरा था। ये महिला कोई और नही बल्कि चंबल के बीहड़ों की रानी फूलन देवी थी। एक वो भी दशक था जब गांव-गांव में डाकू गब्बर सिंह का नहीं डाकू भूलन देवी का नाम गूंजता था। अपने क्रोधी स्वभाव के चलते फूलन देवी से बच्चा तक कांप जाता था। कहा जाता था कि फूलन देवी की बंदूक की नाल से निकली गोली कभी निशाना नहीं भटकती थी।
खुंकार डाकू और बागी महिला होने के बाद भी फूलन देवी संसद तक पहुंची। सपा सांसद रहकर फूलन देवी कई असहायों का सहारा भी बनीं, मगर तेवर कभी नहीं बदलें। देश में बलात्कारियों को कड़ी सजा देने वाली फूलन देवी पहली व्यक्ति थी। फूलन देवी ने 22 बलात्कारियों को एक लाइन में खड़ाकर के गोलियों से भून दिया था। जिसके चलते 37 की उम्र में ही फूलन देवी की दिनदहाड़ों हत्या कर दी गई थी। आज इसी साहसी महिला फूलन देवी की जयंती है। आईए जानते हैं कि चंबल के बीहड़ों से फूलन देवी संसद तक कैसे पहुंची थी…
गरीब परिवार में जन्मी थी फूलन
चंबल की रानी फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के गोरहा का पुरवा गाँव में हुआ था। पुरवा गांव जालौन में स्थित एक नगर और नगरपालिका है। फूलन देवी का परिवार बेहद ही गरीब था। एक भूमि विवाद में हारने के बाद फूलन देवी का परिवार एक समय की रोटी के लिए भी तरसने लगा था। गरीबी के कारण माता-पिता ने फूलन देवी की जल्दी ही शादी कर दी थी।
कच्ची उम्र में शादी, फिर बलात्कार
बचपन से ही फूलन देवी का जीवन दुख और संघर्षों से भरा हुआ था। 11 साल की कच्ची उम्र में ही फूलन देवी की अधेड़ के साथ शादी कर दी गई थी। पिता के उम्र के पति द्वारा नन्हीं फूलन देवी के साथ शारीरिक व मांसिक शोषण किया गया। आज के कानून से तुलना करें तो फूलन देवी के साथ पहले उसके पति ने ही उसका बलात्कार किया था। इसके बाद फूलन देवी पति को छोड़कर भाग निकली और अपने घर पहुंच गई। मगर माता-पिता के घर में भी फूलन सुरक्षित नहीं थी, ठाकुरों की बुरी नजर ने फूलन को चंबल के बीहड़ों में ढकेल दिया। इसके बाद फूलन देवी के साथ एक नहीं कई बार बलात्कार किया गया। असहनीय यात्नाएं सहन करने के बाद फूलन देवी खुद चंबल की बागी बन बैठी और हाथों में बंदूक उठाकर गोलियां दागने लगी।
शोषण की पीड़ा से बनी थी चंबल की डाकू
बागी बनने के बाद फूलन देवी का नाम खतरनाक डाकुओं की लिस्ट में शामिल हो चुका था। दरअसल, गांव से भागने के बाद फूलन देवी को डाकुओं ने ही पनाह दी थी। जिसके बाद डाकुओं द्वारा भी फूलन का शोषण किया गया था, मगर बाद में डाकुओं के गुट में फूलन देवी ने अपनी जगह बना ली थी। कुछ ही सालों बाद फूलन देवी डाकुओं की सरदार बन चुकी थी। यहीं से फूलन देवी का बागी सफर शुरू हो गया, जो संसद भवन में जाकर थमा। साल 1996 में फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर सीट से (लोकसभा) फूलन देवी ने चुनाव जीता और वह संसद तक पहुँची।
संसद में पहुंचकर बलात्कारियों को दी मौत
फूलने देवी ने सासंद बनने के बाद गरीब महिलाओं का साथ दिया। महिलाओं को शोषण के खिलाफ जगाने लगी थी और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए महिलाओं को उकसाने लगी थीं। फूलने देवी एकलौती महिला हैं, जिसने बलात्कारियों को अबतक की सबसे कठोर सजा दी थी। फूलन देवी ने साल 1981 में बेहमई में 22 बलात्कारियों को एक लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था। साथ ही फूलन देवी ने 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक की शुरुआत में मुख्य रूप से उच्च जातियों के खिलाफ काम किया था।
दिनदहाड़े हुई थी फूलन देवी की हत्या
25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा नाम के ठाकुर ने फूलन देवी को गोली मारकर हत्या कर दी थी। दिल्ली स्थित सरकारी आवास के सामने ही फूलन देवी को गोलियों से भून दिया था। उस समय फूलन देवी की उम्र महज 37 साल थी। इस घटना के दो दिन बाद आरोपी शेर सिंह राणा ने देहरादून में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण भी कर दिया था। साथ ही आरोपी राणा ने हत्या का गुनाह भी स्वीकार कर लिया था।
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