बंद होगी मुफ्त की रेवड़ी?, भड़का सुप्रीम कोर्ट…
नई दिल्ली: देश में पिछले 5 दशक से चली आ रही मुफ्त रेवड़ी योजना पर जल्द ताला लग सकता है. आज स्कूपरेमे कोर्ट ने इस मामले को लेकर आज कोर्ट में अहम् सुनवाई हुई, कहा जा रहा है कि- मद्रास राज्य (तमिलनाडु) के मुख्यमंत्री के कामराज ने राज्य भर के स्कूलों में 1956 में मिड डे मील यानी मध्याह्न भोजन योजना शुरू की थी. इसके बाद से देश में नकदी, सोने के सिक्के, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, घरेलू चीजें मुफ्त में देने का चलन शुरू हुआ. इसके पीछे तब मकसद अल्पकालिक चुनावी लाभ उठाने पर था.
SC ने सुनाई खरी- खोटी…
बता दें कि आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों की ओर से मुफ्त में दी जा रही सुविधाओं को लेकर जमकर खरी-खोटी सुनाई. उसने पूछा है कि आखिर ये मुफ्त की रेवड़ियां कब तक बांटी जाएंगी.जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि मुफ्त राशन बांटने की जगह मजदूरों के जिए रोजगार मुहैया कराया जाता तो अच्छा होता.सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने केंद्र सरकार की इस बात पर हैरानी जताई कि करीब 81 करोड़ लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत मुफ्त या सब्सिडी वाला राशन दिया जा रहा है.
मजदूरों को रोजगार दें, फ्रीबीज नहीं- कोर्ट…
एनजीओ की ओर से दायर एक मामले में पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उन प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन मिलना चाहिए जो ई-श्रमिक पोर्टल पर पंजीकृत हैं. इसपर बेंच ने कहा, फ्रीबीज कब तक दिए जाएंगे? क्यों न हम इन प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर, रोजगार और क्षमता निर्माण पर काम करें?.
क्या है रेवड़ी, पहले इसे समझिए…
आरबीआई ने अपनी 2022 की रिपोर्ट में ‘रेवड़ी’ को मुफ्त दिए जाने वाले लोक कल्याण उपाय के रूप में बताया है. मुफ्तखोर अक्सर अल्पकालिक राहत पर ध्यान देते हैं. आमतौर पर मुफ्त लैपटॉप, टीवी, साइकिल, बिजली और पानी जैसी वस्तुएं शामिल होती हैं, जिन्हें अक्सर चुनावी प्रोत्साहन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. सतत विकास को बढ़ावा देने के बजाय संभावित रूप से निर्भरता को प्रोत्साहित करने के लिए फ्रीबीज की अक्सर आलोचना की जाती है.