टॉप मिस्ट्री राइटर सुरेंद्र मोहन पाठक की आत्मकथा ‘पानी केरा बुदबुदा ‘ का चौथा खंड लॉन्च…

सुरेंद्र मोहन पाठक की आत्मकथा " पानी केरा बुदबुदा " का प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक समारोह में भव्य लॉन्च हुआ.

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देश के टॉप मिस्ट्री राइटर के रूप में पहचाने जाने वाले सुरेंद्र मोहन पाठक की आत्मकथा ” पानी केरा बुदबुदा ” का प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक समारोह में भव्य लॉन्च हुआ. साहित्य विमर्श प्रकाशन की ओर से प्रकाशित ” पानी केरा बुदबुदा ” के लोकार्पण के अवसर पर विशिष्ट साहित्यकार ममता कालिया के अलावा देश भर से श्री पाठक के प्रशंसक उपस्थित रहे.

लिखते रहने की प्रेरणा के पीछे मेरे प्रशंसक

इस मौके पर अपने प्रशंसकों से मुखातिब होते हुए पाठक ने कहा मेरे लिखते रहने की प्रेरणा के पीछे मेरे प्रशंसकों का प्यार ही है. 61 साल पहले शुरू हुआ मेरा सफर आज भी अगर जारी है तो इसके पीछे मेरे प्रशंसकों का प्यार ही है. छह दशकों के लंबे सफर में बतौर लेखक मेरे कई खट्टे-मीठे अनुभव रहे. सफलता का शिखर भी देखा और प्रकाशकों की मनमानी भी लेकिन इस दौरान जो एक बात थी और जिसमें कभी घट-बढ़ नहीं हुई, वह आपलोगों का प्यार था.

सुनील कुमार चक्रवर्ती नामचीन पत्रकारों के लिए प्रेरणास्त्रोत

इस दौरान उन्होंने आगे कहा कि अन्यतम मुख्य किरदार सुनील कुमार चक्रवर्ती, देश के कई नामचीन पत्रकारों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बने. जहां उन्होंने नौकरी करते हुए उपन्यास लिखने का सिलसिला जारी रखा और सफलता के लिए कई कुर्बानियां देनी पड़ती हैं. उन्होंने भी अपनी निजी खुशियों को उपन्यास लेखन के लिए बलिदान दिया. अपने लेखन जीवन में कई बड़ी घटनाएं भी सामने से देखी. वहीं बांग्लादेश के बनने से छह साल पहले उन्होंने आठ सौ मील दूर्, दो पाकिस्तान नहीं रह सकते लिख दिया था. जो आगे चलकर सच भी साबित हुआ.

ममता कालिया राइटर सुरेंद्र मोहन पाठक की लाखों फैन्स में से एक

इस अवसर पर साहित्यकार ममता कालिया ने बताया कि वह भी पाठक साहब की मुरीद रही हैं. वह भी उनके लेखन के सफर को जानने के लिए काफी इच्छुक हैं. आत्मकथा के इस चौथे भाग को पढ़ने के लिए वह भी काफी उत्सुक हैं. पाठक का बातों का कहने का एक विशिष्ट अंदाज है. उनके लेखन में भी मानव कमजोरी और मजबूती दोनों का आभास मिलता है.

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सच्चा लेखक जीवन से सटकर चलता है. उनकी आत्मकथा में भी यह भावना ओतप्रोत से जुड़ी हुई है. साहित्य अगर लोकप्रिय न हो तो वह मर जाता है. वहीं सुरेंद्र मोहन पाठक ने ‘पानी केरा बुदबुदा ‘ के प्रकाशकों के साथ अपने अनुभवों को साझा किया है जो चिरपरिचित एसएमपियन शैली में लिखी गयी है जो एक बार फिर से पाठकों को बांधे रखने के लिए तैयार है.

पाठक साहब की किताबों पर चर्चा

लोकार्पण कार्यक्रम में हिस्सा लेने कानपुर से पहुंचे पाठक के प्रशंसक पुनीत दुबे ने बताया कि श्री पाठक के हम प्रशंसक इतने दीवाने हैं कि हम खुद को एसएमपियंस कहते हैं, यानी वो पाठक जो सुरेंद्र मोहन पाठक, यानी एसएमपी का दीवाना है. हम सब एसएमपियंस साल में एक बार देश के किसी कोने में इकट्ठा होते हैं और पाठक साहब की किताबों पर चर्चा करते हैं. उन्होंने कहा कि एसएमपी के प्रति दीवानगी का यह आलम है कि एक फैन विशी सिन्हा, जिन्हें इलाहाबाद में अपने कॉलेज के वर्षों बाद हो रहे यूनियन में जाना था, जिसके लिए उन्होंने टिकट भी बुक कर ली थी, लेकिन आत्मकथा के लॉन्च के प्रोग्राम का हिस्सा बनने के लिए उन्होंने अपना टिकट कैंसल करा दिया.

साहित्य विमर्श की वेबसाइट

आत्मजीवनी को प्रकाशित करने वाले साहित्य विमर्श प्रकाशन के राजीव रंजन सिन्हा ने बताया कि अब तक उनकी प्रकाशन संस्था ने करीब 75 किताबें प्रकाशित की हैं, लेकिन आज भी सर्वाधिक मांग सुरेंद्र मोहन पाठक की किताबों की ही रहती है. उन्होंने बताया कि पानी केरा बुदबुदा की प्री-बुकिंग शुरू हो गई है और उसे साहित्य विमर्श की वेबसाइट, https://www.sahityavimarsh.in/ पर जाकर बुक किया जा सकता है.

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साहित्य विमर्श के संबंध में

देश भर में फैले 11 दोस्तों के साथ 2020 में शुरू हुई प्रकाशन संस्था, साहित्य विमर्श प्रकाशन ने अब तक करीब 75 किताबें प्रकाशित की हैं. स्थापित लेखकों के साथ-साथ नये लेखकों को मंच प्रदान करने वाली प्रकाशन संस्था, गंभीर और लोकप्रिय साहित्य के लिए समर्पित है. उपन्यासों के अलावा कहानी संकलन, बाल उपन्यास के साथ-साथ संस्था अब हिंदी के अलावा अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं में भी पठनीय और समृद्ध सामग्री प्रकाशित कर रही है. संस्था से https://www.sahityavimarsh.in/contact-us/ पर संपर्क किया जा सकता है.

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