पूर्व राष्ट्रपति कोविंद का 78वां जन्मदिन आज, पढ़े उनके जीवन से जुडी रोचक जानकारी ..

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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज अपना 78वां जन्मदिवस मना रहे है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कोविंद को उनके जन्मदिन की ढेरों बधाईयां दी। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखते हुए कहा कि, ‘उनकी बुद्धिमत्ता और विनम्रता हमेशा लोगों को प्रभावित करती रही है। उनके लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करता हूं।’

ऐसे में साल 1945 अक्टूबर 1 तारीख को जन्मे रामनाथ कोविंद का जन्म स्ठल कानपुर का परौंख गांव था। पढाई में अव्वल छात्र होने के साथ ही कोविंद विद्दयाल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे कमजोर वर्गों के अधिकारों के लिए अक्सर आवाज उठाते रहते थे, शायद यही कारण था कि, स्कूल खत्म होने के साथ ही उन्होने कानपुर विश्वविद्यालय से कानून और वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और भारतीय सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए। इस दौरान उन्हें कई सारी दिक्कतों से भी गुजरना पड़ा। ऐसे में आइए जानते है कोविंद ने कैसे तय किया आम जन से राष्ट्रपति तक का सफर….

मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था जन्म

 

1 अक्टूबर 1945 को यूपी के कानपुर जिले के परौंख गांव के मध्यवर्गीय परिवार में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ का जन्म हुआ था। उनके के जन्म के समय देश में अंग्रेजों का शासन चलता था। जिसमें रामनाथ कोविंद अंग्रेजो के विरूद्ध डट कर खड़े रहते थे, इसके अलावा वे स्कूल में भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति जैसे कमजोर वर्गों के अधिकारों के लिए अक्सर आवाज उठाते रहते थे । साल 2017 में 25 जुलाई को कोविंद को देश के 14वें राष्ट्रपति का पदभार सौंपा गया।

आईएएस पद न मिलने पर छोड़ दी नौकरी

रामनाथ कोविंद ने पढाई करते हुए बी.कॉम और एलएलबी की डिग्री हासिल की। ये डिग्री इन्होने कानपुर विश्वविद्यालय से हासिल की। कानपूर से लॉ की पढाई पूरी करने के बाद ये दिल्ली गये। दिल्ली में इन्होने आईएएस की परीक्षा निकालने की कोशिश की, किन्तु इस प्रयास में इनके हाथ असफलता लगी। शुरु में दो बार असफलता लगने के बाद भी इन्होने हार नहीं मानी और तीसरी बार पुनः आईएएस एंट्रेंस की परीक्षा दी। इस बार ये सफल हुए, हालांकि इन्हें आईएएस पद नहीं मिला था। इन्होने नौकरी नहीं की और नौकरी की जगह लॉ का अभ्यास करना ही सही समझा।

राजनीतिक पारी की ऐसे हुई शुरूआत

 

साल1994 में रामनाथ कोविंद की जिंदगी की नयी पारी की शुरूआत हुई, इस दौरान उन्हें पहली बार राज्यसभा के लिए चुना गया। साल 2006 तक वह दो बार संसद के ऊपरी सदन के सदस्य रहे। पेशे से वकील कोविंद ने दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस भी की। कोविंद, पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के निजी सचिव भी रह चुके हैं। इसके साथ ही बीजेपी ने उन्हें अपना राष्ट्रीय प्रवक्ता भी नियुक्त किया था। कोविंद बीजेपी दलित मोर्चा के अध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वह ऑल इंडिया कोली समाज के अध्यक्ष रह चुके हैं।

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14 वें राष्ट्रपति के तौर पर रामनाथ कोविंद पद पर हुए आसीन

 

भारत के तत्कालिक राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई 2017 को ख़त्म होने जा रहा है। उसके अगले दिन 25 जुलाई 2017 को रामनाथ कोविंद भारत के 14 वें राष्ट्रपति के पद के लिए शपथ ग्रहण करेंगे। 20 जुलाई 2017 को वोटों की आखिरी गिनती के बाद 10,09,358 के कुल वोटों में से रामनाथ कोविंद को 7,02,044 वोटों से जीत हासिल हुई। जबकि इनकी प्रतिद्वंदी और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीना कुमार को सिर्फ 3,67,314 वोट मिले। इस तरह रामनाथ कोविंद ने अपने तमाम पदों पर काम करते हुए देश के उन तबकों को नहीं भुला, जो अभी तक सही तौर पर विकास मार्ग पर नहीं आ पाए हैं।

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