हाईकोर्ट से पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को मिली जमानत, सजा पर रोक नहीं…
उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए इस वक्त की बड़ी खबर सामने आ रही है, जिसमें सपा नेता व पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है. वहीं हाईकोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगाने से साफ इंकार कर दिया है. आपको बता दें कि इरफान सोलंकी को एक महिला के घर आगजनी करवाने के मामले में दोषी पाए जाने के बाद सजा सुनाई गई है.
इस मामले की सुनवाई जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस सुरेंद्र सिंह की डिवीजन बेंच कर रही थी, जिसने इस मामले में सोलंकी को जमानत पर मुहर लगाई है. वहीं पूर्व विधायक इरफान सोलंकी और उनके भाई रिजवान सोलंकी को इस मामले में सात साल की सजा सुनाई गई थी. कोर्ट ने इस मामले में इरफान सोलंकी की सजा को बरकरार रखते हुए फिलहाल कुछ दिनों के लिए उन्हें जमानत दी गई है.
विपक्ष ने ये दी ये दलीलें
राज्य सरकार के वकील एम के नटराजन, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल, शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड और अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम जेके उपाध्याय ने शुक्रवार को दलीलें पेश की थी. जिसमें कहा गया था कि इरफान सोलंकी जमानत मिलने पर देश छोड़ सकते हैं. गवाहों को भयभीत कर सकते हैं या धमका सकते हैं. फॉरेंसिक लैब रिपोर्ट अभियोजन की कहानी का समर्थन करती है. आग पटाखे से नहीं बल्कि पेट्रोल और केरोसीन से लगाई गई थी. इस दौरान इरफान और रिजवान अपने साथियों के साथ घटनास्थल पर मौजूद था.
वहीं इरफान के वकील जीएस चतुर्वेदी, इमरान उल्ला और उपेंद्र उपाध्याय ने इरफान को निर्दोष बताया है. कहा गया कि मुकदमा वादिनी नजीर फातिमा के बयानों में विरोधाभास है. उन्होंने बयान दिया है कि, जब वह मौके पर पहुंची तो उनकी झोपड़ी जल रही थी. आग कैसे लगी, किसने लगाई उनको खुद नहीं मालूम है. वहीं सुनी-सुनाई बात के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया है और कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद जमानत पर फैसला सुरक्षित कर लिया है.
Also Read: पाकिस्तान से श्री कृष्ण जन्मभूमि के मुख्य वादी को जान से मारने की धमकी, सीएम योगी को लिखा पत्र…
क्या है पूरा मामला ?
गौरतलब है जाजमऊ थाना क्षेत्र के डिफेंस कॉलोनी में रहने वाली नजीर फातिमा की झोपड़ी में आग लगाने के मामले में कानपुर नगर की एमपी / एमएलए की विशेष अदालत ने इरफान और उसके भाई रिजवान को सात साल की सजा सुनाई थी. इरफान और रिजवान ने हाईकोर्ट में सजा को रद्द करने की मांग की है. दूसरी ओर राज्य सरकार ने सात साल की सजा को पर्याप्त नहीं मानते हुए उम्रकैद की मांग की है.