नहीं रहे काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डा. कुलपति तिवारी, शोक में डूबी काशी…

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वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी का आज यानि बुधवार को निधन हो गया. 70 वर्षीय तिवारी पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और निजी अस्पताल में चिकित्सक उनका इलाज कर रहे थे. कहा जा रहा है कि उनके सीने में अचानक दर्द हुआ, जिसके बाद उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया गया और थोड़ी देर बाद उन्होंने दम तोड़ दिया. उनके दम तोड़ने के बाद परिवार में कोहराम मच गया. उनके निधन के बाद उनके शव को अस्पताल से टेड़ीनीम स्थिति उनके आवास ले जाया गया.

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1954 में हुआ था जन्म…

बता दें कि डॉ. कुलपति तिवारी का जन्म 10 जनवरी, 1954 को मंदिर के पंडित. महावीर प्रसाद तिवारी के यहाँ हुआ था. उनकी वैभवशाली कुंडली के अनुसार ज्योतिषाचार्य दादा ने कुलपति नाम दिया.

काशी विश्वनाथ मंदिर पर की पीएचडी…

डॉ. कुपति तिवारी ने काशी विश्वनाथ मंदिर पर बीएचयू से पीएचडी की. कमच्छा स्थित सेंट्रल हिन्दू स्कूल में प्रवेश के बाद  बीएचयू से बीकॉम और एमकॉम की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की संरचना और कई प्रकार के विषयों पर शोध करके डॉ. की उपाधि हासिल की और उसके बाद डॉ. कुलपति तिवारी बन गए.

रात्रि आठ बजे टेढ़ीनीम स्थित आवास से उठेगी शवयात्रा

काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ. कुलपति तिवारी का बुधवार की सुबह में निधन हो गया. जानकारी के अनुसार उनका अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा. शवयात्रा रात्रि आठ बजे उनके टेढ़ीनीम स्थित आवास से मणिकर्णिका घाट के लिए रवाना होगी. मुखाग्नि उनके एकमात्र पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी द्वारा दी जाएगी.

पिता के बाद संभाली महंत की जिम्मेदारी…

गौरतलब है कि पिता की मौत के बाद डॉ, कुलपति तिवारी को मंदिर में महंत की जिम्मेदारी मिली. उनके पिता की मौत वर्ष 1993 में हुई थी. महंत के गद्दी में आसीन होने के बाद उन्होंने विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी लोक परम्पराओं को भव्यता प्रदान करने का काम किया.

मंदिर में परंपराओं का संचालन करते थे महंत…

बता दें कि सावन मास में पूर्णिमा तिथि पर काशी विश्वनाथ मंदिर के झूलनोत्सव,दीपावली के अगले दिन होने वाले अन्नकूट पर्व, बसंत पंचमी पर बाबा विश्वनाथ के तिलकोत्सव, महाशिवरात्रि पर विवाहोत्सव और अमला एकादशी पर बाबा के गौना समेत निभाए जानें वाली विभिन्न परंपराओं का संचालन वह बतौर महंत के तौर पर करते थे.

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