महाराष्ट्र में फ्लोर टेस्ट का मामला, कल आएगा सुप्रीम कोर्ट का फैसला
महाराष्ट्र में पिछले महीनभर से जारी सरकार को लेकर खींचतान का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है।
रविवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट आज (सोमवार) को इस मामले में निर्णायक सुनवाई कर रहा है।
मालूम हो कि शनिवार सुबह देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली थी, जिसके बाद से यह सियासी मामला और गरमा गया था।
वहीं, एनसीपी के चार में से दो और विधायक वापस आ गए हैं। दोनों विधायकों को दिल्ली से मुंबई ले जाया गया।
सुप्रीम कोर्ट का मामला
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को केंद्र सरकार से कहा है कि वह सोमवार को राज्यपाल का पत्र अदालत को सौंपे जिसमें देवेन्द्र फडणवीस को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है।
साथ ही अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि वह भाजपा नेता द्वारा राज्य में सरकार बनाने के लिए किए गए दावे का पत्र भी अदालत के समक्ष सोमवार को सुबह साढ़े दस बजे सुनवाई के दौरान पेश करे।
भाजपा ने दावा किया है कि फडणवीस के पास 170 विधायकों का समर्थन है। 288 सदस्यीय सदन में बहुमत के लिए 145 विधायकों की जरूरत है।
सुनवाई में बोले अभिषेक मनु सिंघवी, BJP के पास यदि बहुमत तो चिंतित क्यों?
एनसीपी-कांग्रेस के लिए दलील रख रहे सिंघवी ने कहा कि मैं आज फ्लोर टेस्ट हारने से खुश होंऊंगा, लेकिन वे (भाजपा गठबंधन) फ्लोर टेस्ट नहीं चाहते हैं।
किसी पार्टी की महज आशंकाओं पर निश्चित समयसीमा लागू करने के लिए नहीं कहा जा सकता : मेहता ने उच्चतम न्यायालय से कहा।
एनसीपी और कांग्रेस की ओर से दलील रख रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जब दोनों ग्रुप फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं, तो देरी क्यों होनी चाहिए? क्या एनसीपी का एक भी विधायक यहां कह रहा है कि हम बीजेपी गठबंधन में शामिल होंगे? यह लोकतंत्र पर किया गया धोखा था।
सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की ओर से दलील रख रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि ऐसी कौन सी इमरजेंसी थी कि सुबह 5:17 पर राष्ट्रपति शासन हटाया गया और सुबह आठ बजे शपथग्रहण किया गया।
राष्ट्रपति शासन सुबह 5:17 पर हटा, इसका मतलब है कि सबकुछ इसके पहले ही हुआ।