भाद्रपद का पहला शनि प्रदोष व्रत आज, जानें पूजन विधि और महत्व
आज भाद्रपद यानी भादो महीने का पहला शनि प्रदोष व्रत रखा जा रहा है, यह दिन शिव जी और शनि जी की कृपा पाने का सबसे सही दिन मना गया है. ऐसे में दोनों की एक दिन उपासना के उद्देश्य से ही शनि प्रदोष व्रत की शुरूआत की गयी है. इस दिन शनि और शिव की पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और धन मिलता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित बहुत शुभ और मंगलकारी होता है, हिंदू धर्म में त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखने का विधान है. ऐसे में आइए जानते है इस व्रत की पूजन विधि और आज के दिन के अचूक उपाय…
शनि प्रदोष व्रत की पूजन विधि
शनि प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर शिव की उपासना करें और उन्हें जल अर्पित करें. इसके बाद में पूरे 108 बार “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें. इसके बाद में पीपल के पेड़ के नीचे एक सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनिदेव के मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें. इसके बाद किसी जरूरतमंद को भोजन कराए और खाने पीने की वस्तु दान करें.
शनि प्रदोष व्रत के लाभ
शनि प्रदोष व्रत की पूजा से किसी को संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं, यदि शनि की स्थिति के कारण अन्य दुःख या कष्ट हो रहे हैं तो भी लोगों को लाभ मिलता है. यदि शनि की साढ़ेसाती चल रही है तो इस दिन पूजा करके इसका प्रभाव कम कर सकते हैं.
शनि प्रदोष का महत्व
शनिदेव शिव के शिष्य हैं और दंड का अधिपति हैं, उन्हें सिर्फ न्याय और दंड का अधिपति शिव ने बनाया था. इसलिए शिव की पूजा करने से शनि का कष्ट दूर होता है. प्रदोष व्रत के दिन ज्यादातर लोग शिवजी की पूजा करते हैं, इससे जीवन के सभी पाप दूर हो जाते हैं.
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इस व्रत के अचूक उपाय
इस व्रत के दिन पीपल का पौधा लगाकर उसे देखभाल करें, बाएं हाथ की मध्यमा अंगुली पर लोहे का छल्ला पहनने. किसी गरीब को भी भोजन दें. भगवान शिव या भगवान कृष्ण की पूजा करें, यदि आपकी कुंडली में साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही है, तो शनि प्रदोष की शाम 11 बार ऊं शं शनैश्चराय नमः जाप करें. फिर किसी गरीब व्यक्ति को भोजन दें. ध्यान रहे कि इसमें कुछ मीठा नहीं होना चाहिए. अगर संभव हो तो इस दिन संध्याकाल में भी भगवान शिव का दर्शन करना भी याद रखें.