चुनावी बॉन्ड मामले पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दी अपनी पहली प्रतिक्रिया
इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर जारी राजनीतिक घमासान के बीच केन्द्र सरकार की ओर से पहली प्रतिक्रिया सामने आई है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसपर प्रतिक्रिया दी है. एक प्राइवेट मीडिया हाउस के कॉन्क्लेव में उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर पूरी चर्चा अनुमानों पर आधारित है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इससे पहले का सिस्टम फूलप्रूफ था.
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वित्तमंत्री ने सिस्टम में सुधार की बात मानी
सीतारमण ने स्वीकार किया कि यह परफेक्ट सिस्टम नहीं है लेकिन पिछले सिस्टम से बेहतर है. उन्होंने कहा कि हमें इससे सीखने की जरूरत है. इसे लेकर नया कानून आएगा या नहीं, इसे लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन हम इस सिस्टम को और पारदर्शी बनाने के लिए प्रयास करते रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा चुनाव आयोग को भेजा था, जिसे आयोग ने सार्वजनिक कर दिया है.
एसबीआई को पड़ी सुप्रीम फटकार
बता दें कि सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड पर पूरा डेटा साझा नहीं करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को कड़ी फटकार लगाई. अदालत ने इस योजना को रद्द करते हुए एसबीआई को पिछले 5 वर्षों में किए गए दान पर सभी डिटेल शेयर करने का निर्देश दिया था. फटकार के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को बॉन्ड की विशिष्ट संख्या का खुलासा करने के सवाल पर नोटिस जारी करते हुए उसके पास संग्रहीत इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा को चुनाव आयोग के पास वापस करने की अनुमति दी. सुप्रीम कोर्ट एसबीआई की ओर से हर चुनावी बॉन्ड पर छपे यूनिक अल्फान्यूमेरिक कोड को शेयर नहीं करने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस यूनिक नंबर से दानदाताओं को राजनीतिक दलों के साथ मिलाने में मदद मिलती.
इन बड़ी कंपनियों ने लिए इलेक्टोरल बॉन्ड
चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो राजनीतिक दलों को मदद के नाम पर सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड जिन कंपनियों ने खरीदे हैं उनमें ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स व वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, सन फार्मा जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं.