कांग्रेस : शिवराज के गृह जनपद में सर्वाधिक किसानों ने की आत्महत्याएं
मध्य प्रदेश में किसान आत्महत्या राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। कांग्रेस(Congress) ने कहा है कि बीते 20 दिनों में राज्य में 51 किसानों ने कर्ज और सूदखोरों से परेशान होकर आत्महत्या की है, और इनमें सर्वाधिक आठ किसान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जनपद सीहोर के थे।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने शनिवार को यहां अपने आवास पर संवाददाता सम्मेलन में शिवराज सिंह चौहान की सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “राज्य में किसान आत्महत्या कर रहे हैं और मुख्यमंत्री उत्सव और महोत्सव में व्यस्त हैं।
बीते 20 दिनों में 51 किसान जान दे चुके हैं, जिनमें आठ उनके गृह जनपद सीहोर के थे। खुद को संवेदनशील किसान पुत्र बताने वाले मुख्यमंत्री को अबतक किसी किसान के घर तक जाने की फुर्सत नहीं मिली है।”
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कांग्रेस नेता सिंह ने आत्महत्या करने वाले किसानों के नाम, गांव, जिला और आत्महत्या के कारण का ब्यौरा भी जारी किया है, जो उन्होंने मीडिया में आई रपटों के आधार पर तैयार किया है।
उन्होंने आगे कहा, “यहां दुखद बात यह है कि सरकार किसानों की आत्महत्या को दूसरा रूप देने में लगी है। इन आत्महत्याओं का कारण पारिवारिक विवाद, नशाखोरी, जमीन विवाद बताया जा रहा है। इतना ही नहीं मंदसौर के किसान आंदोलन के पीछे अफीम तस्करों का हाथ बताकर सरकार ने किसानों का अपमान किया है।”
सिंह ने कहा कि विधानसभा में आठ हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी किसानों को दिए जाने की बात होती है और उसके बाद उसमें से एक बड़ा हिस्सा किसानों के बजाए बिजली कंपनियों को दे दिया जाता है, यह किसानों के साथ सीधा धोखा है।
सिंह ने राज्य में खेती के हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा, जिसमें कहा गया है कि “राज्य को बीते पांच वर्षो से बेहतर उत्पादन के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार मिल रहा है। सरकार कृषि दर 20 प्रतिशत होने का दावा करती है।
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अगर खेती के क्षेत्र में सब ठीक है, तो किसान आंदोलित क्यों हो रहा है, वे अपनी फसल सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं सरकार ने आठ रुपये प्रति किलोग्राम प्याज खरीदी शुरू की है, जिसका लाभ व्यापारी उठा रहे हैं, तभी तो उत्पादन से ज्यादा प्याज खरीदी जा चुकी है।”
राज्य सरकार ने दो जुलाई रविवार को नर्मदा बेसिन में छह करोड़ से ज्यादा पौधे रोपने का लक्ष्य तय किया है। इस पर सिंह ने कहा कि “मुख्यमंत्री प्रचार के भूखे हैं और सिर्फ गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराना चाहते हैं।
इन पेड़ों का तीन साल तक रखरखाव कैसे करेंगे, यह उन्हें सार्वजनिक करना चाहिए। बीते 10 वषरें में राज्य में 50 करोड़ पौधे लगाए गए, मगर धरती पर कहीं नजर नहीं आए और यही कुछ दो जुलाई को होने वाला है। मुख्यमंत्री जनता के पैसों की बर्बादी कर जश्न मना रहे हैं।”
नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा, “राज्य की नर्सरी में छह करोड़ पौधे ही नहीं है, लिहाजा पौधे दूसरे प्रदेशों से खरीदकर मंगाए जा रहे हैं। परिवहन पर पैसा खर्च किया जा रहा है, वहीं गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने के एवज में प्रति पौधा 40 रुपये अर्थात 240 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
अगर यही पैसा किसानों के विकास में लगा दिया जाता तो बेहतर होता।”
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सरदार सरोवर की उंचाई बढ़ाने से मध्य प्रदेश के 192 गांवों के डूबने की आशंका का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि सिर्फ गुजरात को पानी पहुंचाने के लिए शिवराज अपने इलाके के 40 हजार परिवारों को डूबाने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, “गुजरात में अगले साल चुनाव है और वहां की सरकार हर हाल में भुज तक पानी पहुंचाना चाहती है, क्योंकि भाजपा भुज में कमजोर है। इस तरह गुजरात के चुनाव के लिए मुख्यमंत्री धार, बड़वानी और खरगोन जिलों के 40 हजार परिवारों की जिंदगी दांव पर लगाने को तैयार हैं।
विस्थापन की तैयारियां पूरी हुई नहीं हैं, लिहाजा शिवराज को सर्वोच्च न्यायालय में आवेदन देकर एक वर्ष की मोहलत मांगनी चाहिए।”
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