मृत नर्सिंग अफसर के परिजनों ने बीएचयू अस्पताल प्रशासन पर निकाली भड़ास, शव लेने से किया इन्कार
परिजन मर्चरी हाउस पहुंचे परंतु अपने पुत्र को देखने के बाद शव को लेने से मना कर दिया.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सरसुंदर लाल अस्पताल में नर्सिंग अफसर खेम सिंह सैनी की मौत रविवार को हो गई थी. इसके बाद उनका शव पोस्टमार्टम हाउस में रखवा दिया गया था. सोमवार की देर रात सैनी के परिजन राजस्थान से अस्पताल के इमरजेंसी के पास धरना स्थल पर पहुंचे. इसके बाद वहां से परिजन मर्चरी हाउस पहुंचे परंतु अपने पुत्र को देखने के बाद शव को लेने से मना कर दिया. उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर जमकर भड़ास निकाली और ड्यूटी के दौरान बीएचयू प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया. पुत्र की मौत के बाद इसके लिए जिम्मेदारों पर कार्यवाही की मांग की. खेम सिंह सैनी के पिता जब धरना स्थल पर पहुंचे तो वह चिल्ला चिल्ला कर अपने बेटे के लिए न्याय मांगने लगे. खेम सिंह की पत्नी फूट-फूट कर रोने लगी. इस दौरान वहां पर उपस्थित सभी नर्सिंग स्टाफ की आंखें नम हो गयीं. यह दृश्य काफी ह्रदय विदारक था. उधर, नर्सिंग स्टाफ का धरना प्रदर्शन तीसरे दिन भी जारी है. इससे मरीजों व उनके तीमारदारों की भी परेशानी बढ गयी है.
बार-बार मासूम पहुंच रहा अपने पिता के फोटो के पास
खेम सिंह सैनी की मृत्यु के बाद उनके परिजनों पर मानों पहाड़ सा टूट पड़ा है. खेम सिंह सैनी का डेढ़ वर्षीय एक पुत्र भी है, जो उसके पिता के साथ क्या हुआ है वह समझ नहीं पा रहा है. अपने पिता की तस्वीर को देख कर मासूम उसके पास दौड़ पड़ा मानों उसके पिता उसके सामने हों. यह दृश्य देखकर बीएचयू इमरजेंसी के सामने बैठे नर्सिंग स्टाफ भावुक हो गए. सभी लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि इस अबोध बालक को क्या कह कर समझाया जाए.
न्याय देने की कर रहे मांग
खेम सिंह सैनी के माता और पिता की आंखें सुंदर लाल चिकित्सालय पहुंचने के बाद आंसुओं से भर जा रही हैं. आंखों में आंसू भरे एक पिता और मां बीएचयू इमरजेंसी के बाहर अपने बेटे की मौत की सच्चाई और अस्पताल प्रशासन के लापरवाही को लेकर रो रो कर अपनी बात करने लगे तो वहां बैठे स्टाफ की आंखें भी छलक गयी. खेम सिंह सैनी की पत्नी रेशमा ने भी इस घटना को लेकर अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाया है. रेशमा इस घटना से बीएचयू प्रशासन से काफी नाराज है.
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उनका कहना है कि उनके पति की मौत के बारे में उन्हें कहीं से भी कोई जानकारी नहीं दी गई और न ही मौत का कारण बताया गया. उनकी पत्नी ने बताया कि खेम सिंह बार-बार हमसे यही कहते थे कि हम अपना काम काफी ईमानदारी से करते हैं. हमें मानसिक और शारीरिक रूप से वहां पर प्रताड़ित किया जाता है.
पांच सदस्यी़य जांच कमेटी तीन दिनों में सौपेगी रिपोर्ट
सर सुंदर लाल चिकित्सालय के मेडिकल सुप्रिटेन्डेंट डॉ केके गुप्ता ने नर्सिंग अफसर की मौत के मामले में तीन दिनों बाद पांच सदस्यीय कमेटी के गठन का आदेश जारी कर दिया. इस आदेश के अनुसार जांच कमेटी तीन दिनों के भीतर सभी पहलुओं की जांच करेगी और इसकी रिपोर्ट देगी. नर्सिंग स्टाफ का आरोप है कि जो आदेश जारी किया गया है, उसमें भी खेम सिंह सैनी के नाम के आगे कहीं नर्सिंग अफसर नहीं लिखा है,
बस इंप्लाई आईडी लिखा है. पांच सदस्यीय जांच कमेटी में मेडिसिन विभाग के प्रो. नीलेश कुमार को चेयरमैन बनाया गया है. इसके साथ ही इमरजेंसी में तैनात सीएमओ डॉ.एसके गौतम, अस्पताल की उपकुलसचिव डॉ. रश्मि रंजन, डिप्टी नर्सिंग सुपरीटेंडेंट भूपेंद्र सिंह शेखावत को सदस्य और अस्पताल में सीनियर असिस्टेंट राजनाथ को सदस्य सचिव बनाया गया है.
हड़ताल खत्म करने का निदेशक ने किया आह्वान
आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो.एसएन संखवार ने नर्सिंग अफसर की मौत और हड़ताल के बारे में कहा कि खेम सिंह सैनी का जाना दुखद है. इस मामले में डयूटी लगाने में लापरवाही का आरोप लगाया जाना गलत है. एम्स, एएमयू सहित अन्य चिकित्सा संस्थानों की तरह ही यहां भी डयूटी लगाई जा रही है. नर्सिंग अफसर की मांगों पर बीएचयू के नियमानुसार कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है. सभी को हड़ताल खत्म कर काम पर लौट आना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार से मरीजों को कोई समस्या ना हो.
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वहीं बीएचयू इमरजेंसी के सामने धरने पर बैठे मृतक स्टाफ के मां ने कहा कि रात 7.30 बजे वीडियो काल पर हमने अपने लड़के को खीर खिलाया था. उन्होंने कहां कि हमने भैंस बेचकर उसके पढ़ाई की फीस भरी थी. हमें बड़ी खुशी थी कि हमारा लड़का बीएचयू में नौकरी कर रहा है लेकिन आज बीएचयू प्रशासन द्वारा हमारे लड़के का शव लौटाया जा रहा हैं. धरने में शामिल नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि हमारे साथी की मौत ड्यूटी के दौरान हुई लेकिन बीएचयू प्रशासन उसे स्टाफ तक नहीं मान रहा और लेटर पर उसे मरीज बताया जा हैं जो घोर निंदनीय हैं. उन्होंने कहा कि हमारी तीन मांग हैं मृतक के पत्नी को नौकरी,लड़के को पढ़ाई की सुविधा बीएचयू के स्कूल में और परिवार वालों को 5 करोड़ रुपए मुआवजा दिया जाए.