देश में ‘संवैधानिक होलोकास्ट’ जैसी स्थिति

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गोवा के एक चर्च द्वारा संचालित पत्रिका में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार वाली मौजूदा भारत की तुलना नाजी जर्मनी से की है। पत्रिका में प्रकाशित एक लेख में यह भी दावा किया गया है कि देश में ‘संवैधानिक होलोकास्ट’ जैसी स्थिति है।

तानाशाही से प्रत्यक्ष तौर पर सहमति रखने वाले लोगों’ के खिलाफ मतदान

गोवा के एक वकील डॉ. एफ. ई. नोरोन्हा ने यह लेख लिखा है, जो ‘रेनोवाकाओ’ पत्रिका में प्रकाशित हुई है।लेख में गोवा के मतदाताओं से ‘पूरे देश में फैली तानाशाही’ पर लगाम लगाने के लिए सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ मतदान करने की अपील भी की गई है।लेख में मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर पर भी अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए मतदाताओं से ‘रीढ़विहीन चरित्र वाले लोगों और पूरे देश में फैली तानाशाही से प्रत्यक्ष तौर पर सहमति रखने वाले लोगों’ के खिलाफ मतदान करने की अपील की गई है।

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लेकिन नाजीवाद इन दोनों से बदतर है…

लेख में कहा गया है, “2012 में सभी गोवा को भ्रष्टाचार मुक्त कराने के बारे में सोच रहे थे, जो 2014 तक चला, लेकिन उसके बाद से हम भारत में हर दिन जिस चीज को तेजी से बढ़ता हुआ देख रहे हैं वह और कुछ नहीं बल्कि संवैधानिक होलोकास्ट है। भ्रष्टाचार बेहद खराब चीज है, सांप्रदायिकता से उससे भी खराब, लेकिन नाजीवाद इन दोनों से बदतर है।”

…बल्कि आजादी अब सबसे बड़ा मुद्दा है

लेख में आगे कहा गया है, “जिस किसी ने भी विलियम शीरर की पुस्तक ‘द राइज एंड फाल ऑफ द थर्ड रीजन’ या एलन बुलक की पुस्तक ‘अ स्टडी ऑफ टाइरेनी’ या हिटलर की आत्मकथा ‘मीन कैम्फ’ बढ़ी है, वह विकास और बर्बादी के बीच असाधारण समानता और 1933 के नाजीवादी जर्मनी और 2014 के भारत में समानता को देख सकता है।”पणजी के गिरजाघर ‘बिशप्स हाउस’ द्वारा प्रकाशित होने वाली इस पत्रिका के संपादक फादर एलीक्सो मेनेजेस हैं।पत्रिका कहता है कि भारत में अब सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार या धर्मनिरपेक्षता नहीं है, बल्कि आजादी अब सबसे बड़ा मुद्दा है।

लोकतंत्र में आई गिरावट को रोकने का एक अवसर है

पत्रिका अपने लेख में कहता है, “पूरा देश सिर्फ एक या दो व्यक्तियों द्वारा चलाया जा रहा है, बाकी लोग मामूली अनुचर या अंधभक्त हैं। कृपया ऐसे व्यक्ति को अपना वोट न दें, जो ऐसे लोगों के मामूली अनुचर हैं। आजादी, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का महत्व भ्रष्टाचार से कहीं अधिक है। भ्रष्टाचार ही बेहतर था। अगर वे हमें अपनी बात रखने, भोजन करने और राजनीतिक स्वतंत्रता रखने की आजादी देते हैं तो भ्रष्टाचारियों को ही सत्ता सौंपे।”लेख में कहा गया है कि पणजी विधानसभा सीट के लिए 23 अगस्त को होने वाला उप-चुनाव पर्रिकर के खिलाफ मतदान कर भारतीय लोकतंत्र में आई गिरावट को रोकने का एक अवसर है।

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