CRPF अफसरों पर बढ़ता दबाव, हर तीसरे दिन एक जवान करता है खुदकुशी
CRPF अफसरों पर दबाव इस कदर बढ़ रहा है कि एक ही दिन में दो अफसरों ने खुदकुशी कर ली। ताजा मामला गुड़गांव और भुवनेश्वर का है। गुड़गाव में जहां एक ट्रेनी अधिकारी ने प्रशिक्षण केंद्र में कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली तो वहीं भुवनेश्वर में भी एक अधिकारी ने जिंदगी से हार मान खुदकुशी कर ली।
गुड़गांव के कदारपुर स्थित सीआरपीएफ की प्रशिक्षण अकादमी के हॉस्टल में 31 वर्षीय एमएम मुल्ला नाम के अधिकारी का शव फंदे से लटका मिला। इस घटना से कैंप में हडकंप मच गया। तो वहीं भुवनेश्वर में भी आरडी मीणा नाम के अधिकारी ने खुदकुशी कर ली। हालांकि दोनों ही मामलों में अधिकारियों ने ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ के आदेश दे दिए हैं।
आत्महत्या का बढ़ता मामला
सीआरपीएफ के जवान दुश्मनों के हाथ से नहीं, बल्कि खुद के हाथों ज्यादे मारे जा रहे हैं। गृह मंत्रालय के आंकड़ों की बात करें तो देश में हर तीसरे दिन में एक जवान आत्महत्या कर रहा है। सरकारी आकड़ों मुताबिक 2009 से 2014 के बीच 207 जवानों ने खुदकुशी कर ली।
Journalistcafe.com के हाथ लगे एक दस्तावेज के मुताबिक 2015-16 में हुए मौत का आंकड़ा इस प्रकार है।
जानकारों का मानना है कि अगर सरकार इनके काम की परिस्थितियों में सुधार नहीं करती है तो आत्महत्या से मरने वाले जवानों की संख्या और बढ़ेगी।
खुदकुशी के साथ बढ़ रहा है स्वैच्छिक सेवानिवृति
जवानों द्वारा आत्महत्या के मामलों के साथ-साथ स्वैच्छिक सेवानिवृति लिए जाने के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। 2008 में 52, 2009 में 53, 2010 में 28, 2011 में 43, 2012 में 43, 2013 में 70, 2014 में 74 मामले सामने आए है। हालांकि गृह मंत्रालय द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृति को लेकर कराए गए अध्ययन में यह साफ हुआ है कि लंबे समय तक परिवार से दूर रहने, छुट्टियां न मिलने और काम के लंबे घंटों की वजह से जवानों ने बल छोड़ने का फैसला किया है।
अधिकारियों का क्या है कहना
जर्नलिस्ट कैफे ने सच्चाई जानने के लिए सीआरपीएफ के कई अधिकारियों और जवानों से संपर्क किया। नाम प्रकाशित नहीं करने के शर्त पर एक अधिकारी ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि देश में किसी भी प्रकार का संकट होने पर सबसे पहले पैरामिलिट्री फोर्स को बुलाया जाता है। लेकिन पैरामिलिट्री फोर्स को आर्मी की तुलना में सम्मान व सुविधाएं नहीं मिलने से अधिकारियों का दर्द झलकता है।
कठघरे में सरकार
खुदकुशी और स्वैच्छिक सेवानिवृति के सवालों पर सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए अधिकारी ने आरोप लगाया कि जब उत्तराखंड में त्रासदी हुआ था तब राहत व बचाव कार्य के दौरान हुए हैलीकॉप्टर दुर्घटना में 6 जवान शहीद हुए हो गए थे। जिसमें 4 जवान आर्मी के जबकि दो जवान पैरा मिलिट्री फोर्स के थे। अफसर का आरोप है कि आर्मी के जवानों को सरकार ने शहीद का दर्जा दिया, जबकि उसी हादसे में शहीद हुए पैरा मिलिट्री फोर्स के दो जवानों को शहीद का दर्जा नहीं मिला। हालांकि शहीद के दर्जा के हकदार पैरा मिलिट्री फोर्स के जवान भी थे।