25 साल बाद भी नहीं भूला गुजरात 9 जून 1998 का दिन, चक्रवात में समा गए थे कई शहर

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गुजरात में चक्रवात बिपरजॉय के टकराने की चर्चाओं के बीच यहां के लोगों के मन में 1998 में आए चक्रवात की कड़वी यादें ताजा हो गईं। प्रदेश के 8 जिलों में हाई अलर्ट जारी होने के बाद से ही लोगों में चक्रवात को लेकर डर सता रहा है। मौसम विभाग की ओर से कहा गया है कि अरब सागर से उठ रहे बिपरजॉय चक्रवात अब भयंकर रूप ले चुका है। जिससे लोगों के मन में 25 साल पहले आए चक्रवात की भयावह तस्वीरें दिखने लगी हैं।

 

अरब सागर से उठे समुद्री चक्रवात बिपरजॉय अब गुजरात के तट के किनारे आ पहुंचा है। जैसे-जैसे यह चक्रवात आगे बढ़ रहा है, गुजरात तटीय इलाकों में रह रहें हर किसी के मन को ज्वार की लहरें डर में डुबोती जा रहीं हैं। हर व्यक्ति यही आस लगा रहा है कि यह चक्रवात वापस लौट जाए। चक्रवात बिपरजॉय के 15 जून को दोपहर में कच्छ के समुद्री तट से टकराने का अनुमान लगाया गया है। भारतीय मौसम विभाग के अलर्ट के अनुसार सौराष्ट्र-कच्छ के साथ उत्तर और मध्य गुजरात के गांधीनगर और अहमदाबाद तक इस प्रभाव पड़ेगा। लेकिन चक्रवात का एपीसेंटर कच्छ ही रहेगा। ऐसे में कच्छ के लोगों में 1998 और 1988 में आए चक्रवात की यादें ताजा हो रही हैं। जब जून के महीने में आए इस समुद्री तूफान ने भयंकर तबाही मचाई थी। बिपरजॉय को 1998 के तूफान की तरह ही बेहद खतरनाक माना जात रहा है। उस तूफान का लैंडफाल गुजरात में हुआ था। बिपरजॉय के भी गुजरात के तट पर लैंडफाल करने की संभावना है।

  • जून, 1998 में बेहद खतरनाक तूफान ने गुजरात में किया था लैंडफाल
  • इस तूफान से गुजरात समेत देशभर में काफी ज्यादा नुकसान हुआ था
  • 22 साल के अंतराल के बाद मई, 2021 में तौकते गुजरात से टकराया था
  • तब सरकार ने अच्छे प्रबंधन से तूफान से ज्यादा जनहानि नहीं होने दी थी।

गुजरात नही भूल पाया 9 जून का वो दिन

9 जून 1998 का दिन गुजरात के लोगों के लिए आज भी दर्दनाक याद की तरह है। यह दिन बाकी दिनों की तरह सामान्य ही गुजर रहा था। लेकिन सुबह बीतने के बाद जब दिन शुरू हुआ तो अचानक दिना का उजाला अंधेरे की काली चादर में समा गया। देखते ही देखते, तेज हवाओं के साथ बिजली कड़कने लगी और लोगों के दिलों की धड़कने भी तेज हो गईं थी। महज 6 घंटे बाद कांडला में इतनी बारिश हुई कि कुछ ही देर में बंदरगाह से पानी निकलकर घरों की ओर बढ़ने लगा। इलाके में जब पानी भरने लगा तो लोग ऊंचे स्थानों पर जाने  लगे। कुछ लोग छतों पर भी चढ़ गए। मगर फिर भी भारी संख्या में लोग बाढ़ के पानी में बहने लगे। ज्वार की लहरों ने मानों मौत का तांडव मचा रखा था। गुजरात में आई इस बाढ़ से शवों के ढेर लग गए थे और अस्पतालों में ट्रकों से शव पहुंचाए जा रहे थे। उधर अस्पतालों में भी शव इतनी संख्या में हो गए कि वेटिंग बरामदा मुर्दाघर बन गए थे।

8 जून को गुजरात से टकराया था चक्रवात

गुजरात में 1998 में जब चक्रवात आया था, तब वह समुद्री चक्रवा सिंध-गुजरात बॉर्डर पर आठ जून को टकराया था। यह विनाशकारी चक्रवात 4 जून को बना था और आठ जून को इसका लैंडफाल हुआ था। इस चक्रवात में 165 किलोमीटर प्रति घंटे के रफ्तार से हवाएं चली थीं। इस चक्रवात से पूरे देश में 10,000 लोगों की मौत हुई थी। इसमें ज्यादा मौतें गुजरात में सामने आई थीं। गुजरात में 1173 लाेगों की मौत हुई थी। 1500 से अधिक लोग लापता हुए थे। इस तूफान की तबाही का मंजर ऐसा था कि कच्छ के लोग आज भी इस तूफान की याद करके कांप उठते हैं।

9 जन 1998 को गुजरात ने झेली थी त्रासदी

गुजरात में साल 1998 का 9 जून का दिन भारी त्रासदी में तब्दील हो गया था। कांडला बंदरगाह पर 15 जहाज डूब गए थे। विनाशकारी लहरों और तूफान ने गुजरात की जड़ें तक हिला दी थी। कांडला के अलावा जामनगर, जूनागढ़ और राजकोट, आदि शहरों में क्या झोपड़ी और क्या घर, पूरा इलाका ही बाढ़ के पानी के साथ बह गया। इस चक्रवात ने करीब 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान ली थी। केवल गुजरात में ही मरने वालों का आंकड़ा 1 हजार 173 पहुंच गया था।

1988 में भी आया था भयंकर चक्रवात

1998 की तरह ही पहले साल 1988 में भी गुजरात में भयंकर चक्रवात आया था। 7 जून 1988 के दिन दोपहर 12.30 बजे मौसम विभाग ने चक्रवात की चेतावनी जारी की थी, लेकिन बचाव की तैयारी की जाती तब तक कांडला बंदरगाह में चक्रवात भयंकर तूफान के साथ एंट्री ले ली थी। इसमें हजारों लोगों की मौत मौके पर ही हो गई थी। उस वक्त इस चक्रवात की रफ्तार 165 किलोमीटर प्रति घंटा दर्ज की थी।

गुजरात में आ चुके हैं कई चक्रवात

गुजरात में अभी तक सर्वाधिक विनाशकारी तूफान के तौर पर 1983 के चक्रवात का भी जिक्र होता है। इसमें काफी नुकसान पहुंचा था। इस तूफान ने सौराष्ट्र को प्रभावित किया था। जबकि सबसे ज्यादा हानि 1998 में हुई थी। वहीं दो साल पहले साल 2021 के मई महीने में आए तौकते तूफान में सरकार की तैयारियों के चलते ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। 174 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 81 लोग लापता हुए थे। उस वक्त अधिकतम हवा की गति 185 रही थी। 1960 से लेकर अभी तक गुजरात में सात समुद्री चक्रवात का लैंडफाल हुआ है। 1998 के खतरनाक तूफान के बाद तौकते सातवां चक्रवात था जिसका लैंड फाल गुजरात में हुआ था।

बिपरजॉय से निपटने को तैयार है गुजरात

बता दें, जब साल 1998 में चक्रवात आया था, उस दौरान सरकार अलर्ट नही थी। तब कच्छ के कांडला बंदरगाह को काफी क्षति पहुंची थी। लेकिन इस बार कांडला बदंरगाह को बिपरजॉय चक्रवात की दस्तक से पहले ही पूरी तरह से खाली करवा लिया गया है। हजारों की संख्या में ट्रक के पहिए पूरी तरह से ठप हैं और सभी को दूर शेल्टर होम में शिफ्ट कर दिया गया है। 25 साल के अंतरात के बाद फिर से बिपरजॉय के बड़ी तबाही होने की आंशका व्यक्त की जा रही है। हालांकि राज्य सरकार ने तूफान के दिशा बदलने और खतरनाक होते ही इससे संभावित नुकसान को घटाने में पूरी ताकत झोंकी दी है।

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