आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 मंगलवार को ध्वनिमत से राज्यसभा में पारित हो गया। इस विधेयक में अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज एवं आलू जैसे कृषि एवं बागवानी उत्पादों को आवश्यक वस्तु की सूची से हटाने का प्रावधान किया गया है। विधेयक को लोकसभा की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है। यह विधेयक कोरोना काल में पांच जून को अधिसूचित आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश-2020 की जगह लेगा।
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन
इस विधेयक के माध्यम से आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में संशोधन करके अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज एवं आलू जैसे कृषि एवं बागवानी उत्पादों को आवश्यक वस्तु की सूची से हटा दिया गया है। इन उत्पादों के संग्रह के लिए सरकार अब सामान्य परिस्थिति में कोई सीमा निर्धारित नहीं करेगी। हालांकि विधेयक में विशेष परिस्थति जैसे, युद्ध, अकाल व अन्य विशेष परिस्थितियों के कारण कीमतों में काफी ज्यादा इजाफा होने की सूरत में सरकार स्टॉक लिमिट तय कर सकती है।
उच्च सदन में विधेयक पेश करते हुए दानवे रावसाहेब पाटिल ने कहा कि विधेयक के प्रावधानों से कृषि उत्पादों के भंडारण, प्रसंस्करण के क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ेगा जिससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि भंडारण, कोल्ड चेन और प्रसंस्करण के अभाव में सबसे ज्यादा नुकसान फलों और सब्जियों का होता है। उन्होंने एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में कटाई के बाद प्रमुख कृषि उत्पादों का नुकसान 92,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होता है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का दृष्टिकोण किसानों और उपभोक्ताओं को फायदा दिलाना है।
आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन से कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा
सरकार का तर्क है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में इस संशोधन से कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा, कीमतों में स्थिरता आएगी और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
सरकार का कहना है कि इससे देश में कृषि उत्पादों के भंडारण एवं प्रसंस्करण की क्षमता में वृद्धि होगी। भंडारण क्षमता वृद्धि से किसान अपनी उपज सुरक्षित रख सकेगा एवं उचित समय आने पर बेच पाएगा।
हालांकि विपक्ष का कहना है कि इससे कृषि उत्पाादों की जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ेगी। सरकार का कहना है कि कृषि उत्पादों को आवश्यक वस्तु की सूची में तब लाया गया था जब देश में खाद्यान्नों का अभाव था लेकिन अब ऐसा नहीं है। लिहाजा जमाखोरी और कालाबाजारी के लिए गुंजाइश नहीं होगी।
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