डॉ.शबनम ने राज्यपाल से मुलाकात कर भेंट की अपनी दो पुस्तकें…
वाराणसी: काशी की शिक्षिका डॉ. शबनम खातून ने प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को अपनी लिखी दो पुस्तकें गत दिनों लखनऊ स्थित राजभवन में भेंट कीं. पहली पुस्तक काशी के शास्त्रीय एवं ध्रुपद गायक पद्मश्री डॉ. राजेश्वर आचार्य के जीवन संघर्ष और उपलब्धियों पर केंद्रित है.
मालिनी अवस्थी ने किया था विमोचन…
‘काशी के संगीताचार्य डॉ. राजेश्वर आचार्य’ पुस्तक का विमोचन हाल ही में लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने काशी में आयोजित भव्य समारोह में किया था. दूसरी पुस्तक ‘काशी की कस्तूरी’ है जो उपशास्त्रीय गायिका विदुषी सुचरिता गुप्ता के सांगीतिक अवदानों पर केंद्रित है. इसके अतिरिक्त उन्होंने अपनी संस्था काशी कला कस्तूरी की स्मारिका भी राज्यपाल को भेंट की. डॉ. शबनम खातून ने बताया कि राज्यपाल ने दोनों ही पुस्तकों को अवलोकन किया. दोनों पुस्तकों की भूमिका पढ़ने के बाद राज्यपाल ने कहा कि काशी एक अत्यंत ही उर्वरा भूमि है. अतीत से लेकर वर्तमान तक में काशी की कई ऐसी विभूतियां हुई हैं जिन्होंने विश्वस्तर पर काशी का मान बढ़ाया है.
ALSO READ : प्रियंका के नामांकन में शामिल होंगे दिग्गज नेताओं संग कई सीएम
एक से दूसरी पीढ़ी में पहुंचती है किताबें…
राज्यपाल ने डॉ. शबनम से कहा कि बहुत से ऐसे लोग हैं जिनपर अब तक कुछ नहीं लिखा गया है. ऐसे लोगों को द्वारा किए गए कार्यों को जनजन तक पहुंचाने के लिए जरूरी है कि उनपर भी अनिवार्य रूप से लिखा जाए. उन्होंने डॉ. शबनम खातून को सलाह दी कि काशी की उन विभूतियों पर भी वह अपनी कलम चलाएं जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का कार्य करेंगी. राज्यपाल ने कहा कि पुस्तक ही वह माध्यम है जो एक पीढ़ी का ज्ञान दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य करती हैं.
ALSO READ : ”हिन्दू हैं तो भारत सुरक्षित” – चंपत राय
काशी की पांडित्य परंपरा हो सकती है अगली पुस्तक…
डॉ.शबनम ने कहा कि राज्यपाल आनंदी बेन पटेल की सलाह पर वह ऐसे कई लोगों के नाम की सूची तैयार कर रही हैं जिन्होंने समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान किया है लेकिन उनपर अब तक कोई पुस्तक नहीं लिखी गई है. इस क्रम में वह सबसे पहले काशी की पांडित्य परंपरा में महति योगदान करने वाले काशी के एक ख्यात ज्योतिषाचार्य पर पुस्तक लिखने का मन बना रही हैं. उल्लेखनीय है कि डॉ. शबनम खातून बीएचयू के सेंट्रल हिंदू गर्ल्स स्कूल में बतौर शिक्षिका कार्यरत हैं. साथ ही काशी कला कस्तूरी नामक संस्था के माध्यम से विभिन्न सामाजिक,सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन करती रहती हैं.