दिल्ली में कुत्तों का आतंक: क्या इन्हें पालने में हो रही है चूक?

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यह भारत की राजधानी दिल्ली है। एक ऐसा शहर, जिसने अपनी गतिमानता से पूरी दुनिया में नए आयाम छूएँ है। लेकिन बीतें कुछ महीनों से यह शहर बढ़ते डॉग अटैक से परेशान है। रोज़ाना बढ़ रहे डॉग अटैक से लोगों की सुरक्षा व उनकी खुशाली की नीव हिल गई है।

यूँ तो कुत्तों को इंसान का सबसे वफादार जीव माना जाता है। यहीं नहीं ये अपने मालिक के लिए जान भी दे सकते हैं। मगर ये इतने आक्रमक होते हैं कि खुद अपने मालिक की जान ले भी सकते हैं। दिल्ली में कुछ ऐसी ही घटनाएं हुई है, जिससे कुत्तों की वफ़ादारी ही मौत की वज़ह बन गई। एक नहीं बल्कि हजारों मामले हैं, जब कुत्तों ने मालिक पर ही जानलेवा हमला कर दिया।

पालने में हो रही चूँक

हाल ही में दिल्ली मे डॉग्स अटैक के आकड़ों ने गति पकड़ी है। आधिकारिक आकड़ों के अनुसार, पिछले साल में 500 से ज्यादा डॉग्स अटैक शहर में हुए हैं, जिसमें कुछ लोग घायल हुए हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जिसमें लोगों की जान तक चली गई है। बीते मार्च, दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में 2 छोटे बच्चों की जान स्ट्रैडॉग्स के काटने से हुई थी। ऐसी वारदातों से लोगों के अंदर डर की भावना पैदा हो रही है। पूरे देश में बढ़ते डॉग अटैक से लोग परेशान है।

डॉग ब्रीडिंग में चूँक

सुरेश शेरावत, जोकि दिल्ली में कैनाइन ट्रैनिंग इंस्टिट्यूट चलाते है, उनके हिसाब से कुत्तों और उनके मालिकों के बीच में होने वाली समस्याओं के कई पहलू है। यह कुत्ते लोगों के सबसे विश्वसनीय साथी होते हैं। लोग इन्हें पालते हैं और निस्वार्थ भाव से इन्हें प्यार करते हैं। लेकिन कई बार यह भूल जाते हैं कि इन्हे ढंग से पालना और इन्हें विकसित करना समाज के लिए और उनके लिए भी जरूरी है। ताकि यह समकालीन वातावरण को सहजता से स्वीकार कर सकें।

सुरेश शेवरत के हिसाब से “कुत्तों के पालने में लोग कई तरह कि चूँक कर रहे हैं। जिसकी वजह से पालतू कुत्ते अपने ही मालिक के खून के प्यासे होते जा रहे हैं। उन्हें हमेशा घर में बंद रखना, इन्हें बांधे रखना, इनकी बातों को ना समझना इनके मालिकों की बड़ी भूल है।”

पेट के साथ स्ट्रीट डॉग भी आक्रमक

पालतू कुत्ते ही नहीं बल्कि आवारा कुत्तों के भी अटैक बढ़ रहे हैं, जोकि सरेआम लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। सुरेश शेरावत के अनुसार “यह एक सोशल प्रॉब्लम का जड़ है, जिसकी वजह से इनके अटैक हर रोज बढ़ रहे है। इनके अटैक करने का रीज़न कुछ मानसिक हो सकता है या कुछ अपने क्षेत्र के प्रति प्यार और लोगों का डर भी हो सकता है। यही कुछ कारण है जिसकी वजह से ये अटैक करते हैं।”

सरकार ने किये कई प्रयास

सरकारी तौर-तरीकों ने भी इनके ऊपर बिना कोई पाबंदी लगाए लोगों को इनसे बचाने के कई सारे उपाय आज़माएं है। सरकार के सामने यह एक बड़ी मुसीबत कि तरह खड़ी हो रही थी, जिसके लिए सरकार ने भी अपनी कमर कसके काम किया है। कैनाइन में कई सारी ऐसी ब्रीड होती है, जिन्हें फाइटर डॉग्स माना जाता है। जैसे पिटबुल, रॉटविलर इंग्लिश बुल डॉग, और कई सारे डॉग की ब्रीड है। इन डॉग अटैक के बाद सरकार ने इन ब्रीड पर बैन लगा दिया था। हालांकि कुछ ही दिनों मे इस बैन को हटाना पड़ा जब सरकार के खिलाफ डॉग लवर्स रोड पर आके आंदोलन करना शुरू किये।

नियुक्त हुए कैनाइन इन्स्पेक्टर

बहरहाल, सरकार ने ऐसे ब्रीड के कैनाइन को रखने के लिए कैनाइन इन्स्पेक्टर को नियुक्त किया है। जिनका काम लोगों के पास जाकर उनके कैनाइन का प्रॉपर इन्स्पेक्शन और ट्रैनिंग का प्रमाण चेक करना होता है।

स्ट्रैडॉग्स के लिए बने ऐनमल बर्थ कंट्रोल सेंटर

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 तक दिल्ली मे स्ट्रै डॉग्स की आबादी 800,000 के करीब है। यानि करीब 31.2 मिलियन कि आबादी वाले प्रदेश में 800,000 कुत्तों का निवास है। स्ट्रैडॉग्स अटैक बीते कुछ महीने मे बढ़े हैं। ऐनमल वेलफेयर बोर्ड ने इसके लिए ऐनमल बर्थ कंट्रोल सेंटर का गठन किया है। ऐनमल बर्थ कंट्रोल सेंटर प्राइवेट संस्थाओं के साथ एसोसिएशन मे काम करते है। दिल्ली मे करीब 13 ऐनमल बर्थ कंट्रोल सेंटर है जिनके अलग-अलग ज़ोन मे बाटा गया है। यह सब दिल्ली नगर नगम (MCD) में आते हैं।

Dr. RT Sharma भी ऐनमल वेलफेयर बोर्ड के अन्डर ऐनमल बर्थ कंट्रोल सेंटर चलाते हैं। डॉ शर्मा ने बताया की “MCD के साथ मिलकर ऐनमल बर्थ कंट्रोल प्रोग्राम चलाए जाते हैं, जिसका मूल मकसद आवारा कुत्तों की नसबंदी करना, उन्हें वैक्सनैट करना और उनकी तबियत का ध्यान रखना है। MCD इसके लिए इन्हे पैसे देती है और इनके निर्धारित क्षेत्रफल में पाए जाने वाले कुत्तों को लेकर आती है, जिसके बाद इनका ऑपरेशन किया जाता है”। डॉ शर्मा को प्रत्येक डॉग के ऑपरेशन और उसके इलाज पर MCD द्वारा निर्धारित 800 रुपये की राशि मिलती है। इन कुत्तों को ऐसे सेंटर में ले जाया जाता है जहां इनका इलाज होता है और वापस इन्हे इनके इलाके मे छोड़ आया जाता है।

2001 में पारित हुआ था बर्थ कंट्रोल बिल

केंद्र सरकार ने 2001 में ऐनमल बर्थ कंट्रोल बिल लाया था, जिसमें जितने भी स्ट्रैडॉग्स है उनके ऐनमल वेलफेयर के लिए सरकार वैक्सनैशन, स्टरलाइजेशन और कई सारे पॉइंट्स थे। केंद्र सरकार ने इसकी जिम्मेदारी लोकल गोवर्निंग बॉडी जैसे नगर निगम को सौंपी था। 2023 में केंद्र सरकार ने ऐनमल बर्थ कंट्रोल बिल को अमेन्ड किया और इसके लिए सुप्रीम कोर्ट मे रिट पिटिशन भी दाखिल की है। ऐड्वकेट वैभव द्विवेदी ने बताया कि अब “लोकल गोवर्निंग बॉडीस को स्ट्रैडॉग्स के लिए एंटी-रैबीज़ प्रोग्राम चलाने होंगे, उनके स्टरलाइजेशन और इनके वैक्सनैशन का जिम्मा भी लेना पड़ेगा जिससे आम आदमी को किसी भी तरह का खतरा ना हो।”

 

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