पितृ अमावस्या पर करें ये तीन अचूक उपाय, बदल जाएगी जिंदगी…

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कल पितृ अमावस्या पड़ रही है, हिंदू धर्म में सर्वपितृ अमावस्या की तिथि सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है. यह तिथि आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हर साल मनाई जाती है. इस दिन उन सभी पितरों के लिए पिंडदान या तर्पण किया जाता है, जिनकी मृत्यु की तिथि अज्ञात है या जिनका श्राद्ध किसी कारणवश पहले नहीं किया जा सका. इसलिए इसे सभी पिता की अमावस्या कहा जाता है. यह सर्व पितृ अमावस्या इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन वर्ष का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण होगा. ऐसे में आज श्राद्ध करना क्या शुभ होगा?

सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष का समापन पर होती है, इस दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध तिथि और पिंडदान की विधि अधिक महत्वपूर्ण होती हैं. आज कोई भी उपाय सफल नहीं माना जाता है. इस दौरान पितरों का स्मरण करते हुए उन्हें तर्पण दिया जाता है, पिता का आशीर्वाद मिलने से कई परेशानियां दूर हो जाती हैं.

सर्वपितृ अमावस्या की तिथि

पंचांग के अनुसार, 1 अक्टूबर को रात 9:40 बजे और 2 अक्टूबर को दोपहर 2:19 बजे सर्वपितृ अमावस्या होगी। मोक्षदायिनी अमावस्या भी कहलाता है. उदया तिथि के अनुसार, अमावस्या 2 अक्टूबर को ही होगी.

सर्वपितृ अमावस्या के अचूक उपाय

इच्छा पूरी करने के लिए…

सर्वपितृ अमावस्या के दिन तिल की करछुल बनाकर मंदिर में चढ़ाना चाहिए. यह लड्डू कुत्ते, गाय और कौए भी खा सकते हैं. इस लड्डू को चढ़ाते समय अपनी इच्छा को भी याद रखें. यह आपकी कई दिनों से अधूरी इच्छाओं को पूरा करेगा.

दिशा का रखें ध्यान

वास्तु के अनुसार, उत्तर पूर्व दिशा को शुभ मानते हैं, इसे देवताओं का घर समझा जाता है. इस समय पितरों को याद करना और पूजा करना चाहिए और घर में सकारात्मकता को बनाए रखने के लिए इस दिशा में दीपक जलाना चाहिए. इससे घर में खुशी और सुख रहता है. घर में धन आता है और घर की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.

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देवी लक्ष्मी के आगे घी का दीया जलाएं

सभी पितृ अमावस्या का मतलब है पितरों को याद करना और उनका सम्मान करना. इस दिन हमें पूजा और दान का लाभ मिलता है. इस समय आपको घी का दीपक मां लक्ष्मी के सामने जलाना चाहिए और 108 बार लक्ष्मी मंत्र जाप करना चाहिए. इससे अर्थव्यवस्था को राहत मिलेगी, सर्वपितृ अमावस्या के दिन तुलसी का 21 बार जाप करें.

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