SIT की मांग खारिज, SC ने कहा, न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एएम खानविलकर की अदालत ने कहा कि ये याचिकाएं राजनीतिक हित साधने और चर्चा बटोरने के लिए जारी की गई लगती हैं, लेकिन इनका कोई ठोस आधार नहीं है।
न्यायपालिका की छवि को खराब करने का एक प्रयास हैं
सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि इस मामले में 4 जजों के बयानों पर संदेह का कोई कारण नहीं बनता। यही नहीं शीर्ष अदालत ने याचिकाओं को लेकर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह याचिकाएं न्यायपालिका की छवि को खराब करने का एक प्रयास हैं।
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सोहराबुद्दीन शेख के कथित फर्जी एनकाउंटर के मामले की सुनवाई कर रहे जज बीएच लोया की मौत की स्वतंत्र जांच दल से इन्वेस्टिगेशन की मांग को लेकर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थीं। इन याचिकाओं पर 16 मार्च को सुनवाई पूरी होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जज लोया को कार्डिएक अरेस्ट हुआ था
1 दिसंबर 2014 को नागपुर में जज लोया की मौत हो गई थी, जब वह अपने एक सहकर्मी की बेटी की शादी में शरीक होने के लिए जा रहे थे। कहा जाता है कि जज लोया को कार्डिएक अरेस्ट हुआ था, लेकिन नवंबर 2017 में जज लोया की मौत को उनकी बहन ने संदिग्ध बताया था। इसके बाद यह मामला उठा और उसके तार सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर से जोड़ते हुए उनकी मौत की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गईं।
NBT
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