श्रीलंका के नये प्रधानमंत्री बने दिनेश गुणवर्धने, पिता ने लड़ी थी भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई

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श्रीलंका की राजनीति में मचे घमासान के बीच शुक्रवार को नये पीएम के नाम की घोषणा हो चुकी है. दिनेश गुणवर्धने को श्रीलंका का नया पीएम बनाया गया है. शुक्रवार को उन्होंने संसद में श्रीलंका के 15वें प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. गोतबया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे की सरकार में दिनेश गुणवर्धने विदेश मामलों और शिक्षा मंत्री रहे थे. इनके पिता फिलिप गुणवर्धने ने भारत को आजाद कराने के लिए लड़ाई लड़ी थी.

72 वर्षीय दिनेश गुणवर्धने ने संयुक्त राज्य अमेरिका और नीदरलैंड में शिक्षित एक ट्रेड यूनियन नेता के साथ-साथ अपने पिता फिलिप गुणवर्धने की तरह एक भयंकर सेनानी रह चुके हैं. अपने माता-पिता की तरह साफ-सुथरी छवि रखने वाले दिनेश गुणवर्धने भारत के साथ बेहतर संबंधों के पैरोकार हैं. वह 22 वर्षों से अधिक समय तक एक शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री रहे हैं.

दिनेश गुणवर्धने का जन्म 2 मार्च, 1949 को हुआ था. उन्होंने संसद सदस्य, कैबिनेट मंत्री के रूप में काम किया है. वर्तमान में वह वामपंथी महाजन एकथ पेरामुना (एमईपी) पार्टी के नेता हैं. दिनेश गुणवर्धने की शुरुआती शिक्षा रॉयल प्राइमरी स्कूल कोलंबो और रॉयल कॉलेज कोलंबो में हुई. स्कूल के बाद उन्होंने नीदरलैंड स्कूल ऑफ बिजनेस (न्येनरोड बिजनेस यूनिवर्सिटी) में आगे की पढ़ाई की. बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में डिप्लोमा के साथ ग्रैजुएशन की पढ़ाई पूरी की.

दिनेश के पिता फिलिप गुणवर्धने को श्रीलंका में समाजवाद के जनक के रूप में जाना जाता है. फिलिप गुणवर्धने का भारत के प्रति प्रेम और साम्राज्यवादी कब्जे के खिलाफ स्वतंत्रता की दिशा में प्रयास साल 1920 की शुरुआत में संयुक्त राज्य अमेरिका से शुरू हुआ था. इस काम में उनकी पत्नी मे भी बखूबी साथ दिया.

फिलिप गुणवर्धने विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय में जयप्रकाश नारायण और वीके कृष्ण मेनन के सहपाठी रह चुके थे. उन्होंने अमेरिकी राजनीतिक हलकों में साम्राज्यवाद से स्वतंत्रता की वकालत की. बाद में लंदन में भारत की साम्राज्यवाद विरोधी लीग का नेतृत्व भी किया. बहुत कम लोग जानते हैं कि उनके परिवार का भारत से घनिष्ठ संबंध रहा है. पूरे गुणवर्धने परिवार का भारत समर्थक झुकाव है.

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान श्रीलंका (तब एक ब्रिटिश उपनिवेश, सीलोन) से भागने के बाद पीएम दिनेश गुणवर्धने के पिता फिलिप और मां कुसुमा ने भारत में शरण ली थी. वे उन भूमिगत कार्यकर्ताओं में शामिल हो गए थे, जो आजादी के लिए लड़ रहे थे और कुछ समय के लिए गिरफ्तारी से बच गए थे. साल 1943 में उन दोनों को ब्रिटिश खुफिया विभाग ने पकड़ लिया था. कुछ समय के लिए उन्हें बॉम्बे की आर्थर रोड जेल में रखा था. एक साल बाद फिलिप और उनकी पत्नी को श्रीलंका डिपोर्ट कर दिया गया और आजादी के बाद ही रिहा किया गया.

भारत के प्रथम पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में फिलिप गुणवर्धने के बलिदान की तारीफ की थी. नेहरू तब कोलंबो दौरे के समय फिलिप के घर भी पहुंचे थे. आजादी के आंदोलन में उनके योगदान के लिए व्यक्तिगत रूप से परिवार को धन्यवाद भी दिया था.

साल 1948 में श्रीलंका को यूनाइटेड किंगडम से स्वतंत्रता मिलने के बाद फिलिप और कुसुमा दोनों संसद के सदस्य बने. फिलिप साल 1956 में पीपुल्स रिवोल्यूशन सरकार के संस्थापक नेता और कैबिनेट मंत्री थे. उनके सभी चार बच्चों ने कोलंबो के मेयर, कैबिनेट मंत्रियों, सांसदों आदि सहित उच्च राजनीतिक पदों पर भी काम किया है.

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