”धर्मसम्राट ने की सनातन धर्म की रक्षा के लिए की कठोर साधना”: ब्रजनंदन जी महाराज

धर्मसंघ में 117 वें प्राकट्योत्सव का हुआ श्रीगणेश

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वाराणसीः वृंदावन के कथाव्यास ब्रजनंदन जी महाराज ने कहा कि धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज साक्षात शिव के अवतार थे, जिन्होंने सनातन धर्म की रक्षा के लिए कठोर साधना की. यह धर्मसंघ जहां हम सब बैठकर शिव की कथा श्रवण कर रहे हैं, यहीं वह करपात्र तपोस्थली है.

कथाव्यास बुधवार को दुर्गाकुण्ड स्थित मणि मंदिर, धर्मसंघ शिक्षा मण्डल परिसर में धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के 117 वें प्राकट्योत्सव के शुभारंभ पर बोल रहे थे. पहले दिन मंदिर प्रांगण में धर्मसंघ पीठाधीश्वर स्वामी शंकरदेव चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज के पावन सानिध्य में सात दिवसीय श्री शिवमहापुराण कथा का श्रीगणेश हुआ.

काशी इस सृष्टि में सबसे दुर्लभ नगर

कथा प्रसंग में प्रथम दिवस काशी खण्ड की कथा का श्रवण कराते हुए कहा गया कि काशी इस सृष्टि में सबसे दुर्लभ नगर है. यह सबसे प्राचीन है और महादेव को तीनों लोकों से न्यारी नगरी है। जो गंगा गंगोत्री में प्रकट होकर हर जगह कलकल करती बहती है, वहीं गंगा काशी में आने के लिए महादेव से अनुमति लेकर आती है और उत्तरमुखी होकर प्रवाहित होती है. जो नगरी प्रलय काल में भी ना डूबी वही यह काशी है जिसे भोलेनाथ ने अपने त्रिशुल पर उठा रखा है. ऐसी काशी में जहां प्रवेश भी सैकड़ों जन्मों के पुण्य के प्रतिफल में मिलता है. उस काशी में श्रावण मास में शिव की कथा सुनना भी सिर्फ महादेव की इच्छा से ही संभव है.

यहां लोक परलोक सब तर जाता है

उन्होंने कहा कि काशी खण्ड में उल्लेख मिलता है कि जिसने कभी कहीं कोई तीर्थ स्थान पर स्नान ना किया हो, कोई दान पुण्य ना अर्जित किया हो, वह काशी के केदारघाट स्थित केदारकुण्ड में स्नान कर ले, उसका लोक परलोक सब तर जाता है. उन्होंने बताया कि गौरी केदारेश्वर ही एक ऐसा दिव्य शिवालय है जहां एक जगह खड़े होकर महादेव, नंदी और मां गंगा तीनों का एक साथ दर्शन किया जा सकता है. समस्त ऋषिमुनियों ने काशी की महिमा गाते हुए लिखा है यहां विश्वेशर पग-पग पर मुक्ति देते नहीं बल्कि लुटाते हैं. और जगहों पर ऐश्वर्य, सुख संपदा मिल जाएगी लेकिन मोक्ष तो काशी में ही मिलेगा.

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इसके पूर्व कथा के शुभारंभ पर मंदिर परिसर में कलश यात्रा निकाली गई. यात्रा धर्मसंघ के मुख्य द्वार से निकलकर मणि मंदिर के मुख्य मण्डप तक गयी, जहां धर्मसंघ के महामंत्री पण्डित जगजीतन पाण्डेय ने मुख्य यजमान के रूप में साविधि पूजन अर्चन किया. इस मौके पर विभिन्न प्रांतों से आए भक्त कलश यात्रा में शामिल हुए.

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