धनतेरस कल, जानें पूजन और खरीददारी शुभ मुहूर्त…
दीवाली के पांच दिवसीय त्यौहार के पहले दिन धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है, इसे देश भर में बहुत उत्साह और खुशी से मनाया जाता है. इस शुभ दिन पर लोग विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है. इस दिन लोग घरों के बाहर दीये जलाते हैं. धनतेरस को धन त्रयोदशी भी कहते हैं. मान्यता है कि, देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि का जन्म इस दिन हुआ था. धनतेरस पर सोना-चांदी, आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. धनतेरस दिवाली प्रत्येक वर्ष दो दिन पहले मनाया जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार धनतेरस का त्योहार कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार धनत्रयोदशी 29 अक्टूबर को मनाई जाएगी. आइए जानते है पूजन और खरीददारी का शुभ मुहूर्त…
पूजन का शुभ मुहूर्त
धनतेरस की तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10 बजे 31 मिनट पर शुरू होगी और 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे 15 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 29 अक्टूबर धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है. धनतेरस की पूजा शाम को की जाती है, 29 अक्टूबर को शाम में 6 बजे 31 मिनट से लेकर रात 8 बजे 31 मिनट तक पूजन किया जा सकता है यानी धनतेरस पूजन का मुहूर्त एक घंटा 42 मिनट होगा.
खरीददारी का शुभ मुहूर्त
पहला मुहूर्त- 29 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से लेकर 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा.
दूसरा मुहूर्त- दोपहर 11 बजकर 42 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक.
गोधूलि मुहूर्त- गोधूलि मुहूर्त में भी खरीदारी की जा सकती है. इस दिन गोधूली मुहूर्त शाम 5 बजकर 38 मिनट से लेकर 6 बजकर 04 मिनट तक रहेगा.
पूजन विधि
धनतेरस के दिन सुबह उठकर सूर्योदय के पहले स्नान किया जाता है, वही धनतेरस का पूजन प्रदोष काल किया जाता है. इस दिन पूजन के लिए सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और इसके बाद गंगाजल डालकर शुद्ध करें. इसके बाद भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा स्थापित करें और उनके समक्ष खुशबू वाली धूप और देसी घी का दीपक जलाएं. साथ ही एक कलश स्थापित करें और कलश के ऊपर नारियल रखे. साथ ही एक कलश स्थापित करें, पांच पत्तों से नारियल को कलश के ऊपर सजाएं. आप इस दिन धातु, बर्तन या ज्वैलरी आपने इस दिन खरीदी है, उसे भी चौकी पर रखें. पूजन की शुरुआत विधि विधान से करें. लाल फूल देवताओं को अर्पित करें. लक्ष्मी यंत्र, लक्ष्मी चालीसा, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें. धनतेरस की पूजा में मिठाई का भोग और लक्ष्मी माता के मंत्र जाप करें.
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महत्व
धनतेरस के दिन दीपदान का काफी महत्व होता है, इसलिए दीपदान किया जाता है. कहा जाता है कि,धनतेरस के दिन यमराज के लिए दीपक जलाए गए घर में अकाल मृत्यु नहीं होती है. धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 – 13 दीप घर के अंदर जलाएं. इस दिन मुख्य दीपक रात को सोते समय जलाना चाहिए. वही इस दीपक को जलाने के लिए दीपक का उपयोग किया जाता है. यह दीपक घर के बाहर दक्षिण की ओर मुख करके दीपक जलाना चाहिए. दरअसल, दक्षिण यम की दिशा है, यह भी कहा जाता है कि घर में दीया घूमाने से दिनभर की सारी नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकल जाती है.