Varanasi से उठी प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट निरस्त करने की मांग
वरूणा पुल स्थित शास्त्री घाट पर हुई हिन्दू राष्ट्र जागृति जनसभा
प्रभु श्रीराम, श्रीराम मंदिर, श्रीरामचरितमानस आदि श्रद्धास्थानों के निरंतर हो रहे अपमान को रोकने के लिए तत्काल ‘रामनिंदाविरोधी कानून’ बनाया जाय. साथ ही अयोध्या में बन रहे भव्य श्रीराम मंदिर की भांति काशी, मथुरा, भोजशाला, कुतुबमीनार आदि असंख्य हिन्दू धार्मिक स्थलों को प्राप्त करने में आ रही बाधा दूर करने के लिए प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए.
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पक्षपातपूर्ण काननू को मोदी सरकार निरस्त करे
वरूणा पुल स्थित शास्त्री घाट पर शुक्रवार को हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित हिन्दू राष्ट्र-जागृति जनसभा में सरकार से यह मांग की गई. वक्ताओं ने कहाकि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 कानून के कारण वर्ष 1947 से पूर्व हिन्दू मंदिरों पर किसी ने अतिक्रमण किया हो तो उसके लिए किसी भी प्रकार का अभियोग या अपील न्यायालय में नहीं की जा सकती. इसके विपरीत वक्फ बोर्ड को किसी भी भूमि, सम्पत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार दिया गया है. यह एक प्रकार से मुसलमानों को फायदा और हिन्दुओं को कायदा जैसा पक्षपातपूर्ण कानून है. इन कानूनों को केंद्र की मोदी सरकार निरस्त करे. वक्ताओं ने कहाकि प्रभु श्रीराम मांसाहार करते थे, ऐसे आपत्तिजनक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कई वक्तव्य लगातार दिए जा रहे हैं. सिर्फ भगवान राम की ही नहीं बल्कि धार्मिक ग्रंथ श्रीरामचरितमानस को जलाने के कृत्य हो रहे हैं. श्रीराम मंदिर के स्थान पर पुनः बाबरी निर्माण के सपने ओवैसी द्वारा मुसलमानों को दिखाए जा रहे हैं. भगवान श्रीराम भारत के आराध्य हैं. हालांकि जिस कानून को बनाने की मांग की जा रही है उसका नाम ‘रामनिंदा’ है. लेकिन इसमें किसी भी देवता के विषय में अपमान न हो ऐसा प्रावधान किया जाय.
सभा में इनकी रही मौजूदगी
जनसभा के अंत में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री व कानून एवं न्याय मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन सौंपा गया. सभा में वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा, शीत लाल, जया केसरी, जयप्रकाश सिंह, सुनील गुप्ता, डॉ. अजय जायसवाल, श्रृंगार गौरी की वादिनी श्रीमती सीता साहू, रवि श्रीवास्तव, राकेश चंद्र पाठक, रजनीश अग्रवाल, अरविंद गुप्ता, राजेश सिंह, राजेश कुमार, सुप्रिया भट्टाचार्य, डॉली चक्रवर्ती, चांदनी श्रीवास्तव, निर्मला देवी, कैलाश नाथ चौरसिया, सुनील चौरसिया, एसएम बहल, राजन केशरी आदि रहे.