क्या दिल्ली NCR बनेगा देश का नया जामताड़ा?

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साइबर फ्रॉड को लेकर सतर्कता अभियान देश मे लगातार चलाए जा रहे है। देश की राजधानी दिल्ली से सटे शहर अब साइबर फ्रॉड के गिरफ्त मे आते दिख रहे है। नोएडा मे इन दिनों लगातार साइबर फ्रॉड के केसेस सामने या रहे है। कई अपराधी ऐसे हैं जो फ्लैट या प्रॉपर्टी दिखाने, किराए पर देने और बेचने का झांसा देकर ऑनलाइन काम करते हैं और पकड़े नहीं जाते।

कैसे लाते है झांसे मे…

दिल्ली से सटे शहरों मे रहने की डिमैन्ड लगातार बढ़ रही है। यह अपराधी बड़े-बड़े रियल एस्टेट वेबसाईट पर घर की नकली तस्वीरें डालकर लोगों को अपने झांसे मे लाते है। MagicBricks, 99 Acres जैसी तमाम वेबसाईट पर तस्वीरों के जरिए लोगों को फ्लैट या घर दिलाने के लिए बर्गलताते है। लगभग तौर पर यह शहर कि बड़ी सोसिटियों की तस्वीरें डालते है और ऐसे बात करते है जिससे लोग इनकी बातों पर सहमत होकर इन्हे पैसे दे-देते है।

ज्यादातर डिजिटल पेमेंट एप का करते है इस्तेमाल

यह अपराधी लोगों से ब्रोकरेज, गेट-पास के नाम पर पैसे ले लेते है। यह अपनी तकनीक से चलते; लोगों से तुरंत पेमेंट लेकर गायब होना इनकी आदत मे शुमार है। ज़्यादातर डिजिटल पेमेंट एप जैसे Paytm, Google Pay, आदि जैसे एप का इस्तेमाल करते है जिससे पैसे तुरंत अकाउंट उनके अकाउंट मे ट्रैन्स्फर हो जाते है।

आखिर क्यूँ नहीं पकड़े जाते है…

यह अपराधी देश के अलग-अलग कोने से काम करते है। यह हरियाणा के ‘मेवात’, उत्तरप्रदेश के मथुरा और राजस्थान के भरतपुर से काम करते है। यह तीनों इलाके तीन अलग-अलग प्रदेश की सीमा पर बसे है। यही वजह है कि इनकी असल लोकैशन को ट्रैस करने मे पुलिस अक्सर नाकाम रहती है। आपको यह फोन मथुरा से करेंगे लेकिन कुछ ही देर मे भरारतपुर मे जाकर किसी और को फोन करेंगे जिससे इनकी लोकैशन का पता लगाना कठिन ही जाता है।

जामताड़ा जैसी हालत मे आता जा रहा है दिल्ली NCR

अलग-अलग प्रदेशों की सीमाओं से काम करने से इनकी असल लोकैशन मिलना कठिन हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है कि मानिए इन्होंने आपको फोन उत्तरप्रदेश के किसी जिले से किया है लेकिन उसके तुरंत बाद यह राजस्थान के किसी जिले मे जाकर अपना फोन चालू कर रहे है, यही वजह होती है कि पुलिस की परेशानियाँ बढ़ती है। फैक आधार कार्ड और नंबर देकर आपको अपने झांसे मे ला सकते है ऐसे अपराधी।

A black and white night view of the India Gate in Delhi.

समझिए क्या होती है फिशिंग?

फिशिंग एक तरह का साइबर फ्रॉड है। इसकी शुरुआत एक फोन कॉल, या किसी भी टेक्स्ट मैसेज से शुरू होती है जोकि बाहुत ही लुभावनी लगती है। हालांकि कई बार ऐसा होता है जिसमे इनकी बातें और इनके बारे मे सच्चाई सच लगने लगती है। यह आपको किसी बड़ी कंपनी या किसी बड़े नाम से फोन करते है जिससे आप इनपर यकीन कर सकते है।

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फिशिंग का इतिहास

किसी का पर्सनल डाटा बड़े काम का होता है। 1990 के दशक मे जब इंटरनेट धीरे-धीरे लोगों कि जुबान पर आना शुरू हुआ था तब साइबर अटैकर ने लोगों की पर्सनल इनफार्मेशन के ऊपर हाथ मारना शुरू किया जोकि ज्यादातर E-Mail के जरिए हुआ करता था। इनकी नजर लोगों के पैसों पर 2000 के दौरान पड़ी। बड़ी कॉम्पनियों के नाम से लोगों को मेल करके उनके बैंक की डीटेल लेने से फाइनैन्शल फिशिंग की हुई थी शुरुआत।

जामताड़ा के बारे मे आपने सुना तो जरूर होगा। जामताड़ा जोकि झारखंड का एक छोटा सा शहर था वह आगे चलकर इंडिया का फिशिंग कैपिटल बन गया। जामताड़ा जैसा ही कुछ हाल आज देश कि राजधानी दिल्ली का है।

पुलिस कैसे करती है मदद?

जैसे-जैसे साइबर फ्रॉड की गतिविधियों को बढ़ावा मिला वैसे ही पुलिस ने भी अपनी कमर कस ली। आज अगर आपके साथ किसी भी तरह का अनलाइन फ्रॉड होता है तो तुरंत https://cybercrime.gov.in/ पर जाकर आप अपनी कम्प्लैन्ट रजिस्टर करा सकते है। इतना ही नहीं साइबर फ्रॉड से जुड़ी कम्प्लैन्ट को आप देश के साइबर क्राइम डिपार्ट्मन्ट के हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी जाकर रजिस्टर करा सकते है।

भारत मे फिशिंग के लिए बने कानून…

फिशिंग एक अपराध है जिसमे आपके पर्सनल डाटा, पैसे खतरे मे है। इस अपराध के लिए आप कोर्ट का भी दरवाजा खट-खटा सकते है। IT Act 2000 इस अपराध के खिलाफ कानून बनाए गए थे जिसे 2008 मे इम्प्लमेन्ट किया गया था।

  • सेक्शन 66: पीड़ित के संवेदनशील जानकारी को चुराने के लिए फिशर को अपराधी मानता है। इसके तहत किये गए अपराध की गहराई के अनुसार अपराधी को अधिकतम तीन साल की सजा या 5 लाख का जुर्माना कोर्ट लगा सकती है।
  • सेक्शन 66A: यह बताता है कि उपयोगकर्ता को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से पूरी तरह से फर्जी विवरण प्रसारित करने का प्रयास करना एक अपराध है। इसके अलावा, प्रावधान उन अपराधों को परिभाषित करता है जो अधिनियम के तहत दंडनीय हैं
  • सेक्शन 66C: कई बार यह अपराधी अपने आप को दूसरे के खाताधारक या उसकी जगह अपने आप को मालिक बताकर अपराध करते है। कोर्ट इसे एक अपराध के तौर पर देखता है।
  • सेक्शन 66D: इस खंड में उल्लिखित प्रावधान संचार उपकरणों या सॉफ़्टवेयर स्रोत सामग्री का उपयोग करके एक पूरे अन्य व्यक्ति को धोखा देकर धोखाधड़ी गतिविधियों को कवर करते हैं। स्कैम कलाकार बैंकिंग संस्थानों के साथ-साथ हाइपरलिंक्स का उपयोग करके अन्य संगठनों को धोखा देकर सिस्टम का दुरुपयोग करते हैं जो ग्राहकों और ग्राहकों को इन आधिकारिक वेबसाइटों के फर्जी संस्करणों की ओर मोड़ते हैं, यह दिखाते हुए कि वे सभी एक ही संगठन के हिस्से हैं।

देश की राजधानी दिल्ली साइबर फ्रॉड जैसी खतरनाक बीमारी से ग्रसित है। अब देखना यह है कि कैसे इन साइबर क्राइम पर पुलिस और प्रशासन लगाम लगाता है।

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