सुप्रीम कोर्ट ने कहा-राज्य सरकारें मजदूरों का किराया अदा करें
प्रवासी मजदूरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
हाईलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने कहा मजदूरों से बस—रेल किराया नहीं लिया जाएगा
राज्य सरकारें मजदूरों का किराया देंगी
प्रवासी मजदूरों को खाना मुहैया कराया जाए
राज्य सरकारें मजदूरों का इंतजाम करें
जहां से मजदूर चलें वहां की राज्य सरकार खाना पानी दे
रेलवे और बसों में खाने का इंतजाम किया जाए
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दिया
अब तक 91 लाख मजदूरों को उनके स्थानों पर भेजा गया
80% प्रवासी यूपी और बिहार भेजे गए
27 मई तक 37 सौ विशेष ट्रेन चलाने का दावा केंद्र सरकार ने किया
45 लाख मजदूर अब तक घर पहुंचे
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों को लेकर बड़ा फैसला Decision दिया है। Decision में कहा है कि राज्य सरकारें मजदूरों को उनके घरों में जाने का एक भी पैसा नहीं लेंगी। उन्हें खाना—पानी भी देंगी।
Decision बड़ा है
देश भर में फंसे प्रवासी मजदूरों की समस्या और उन पर आई विपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का यह Decision बड़ा है। शीर्ष अदालत ने अपने अंतरिम Decision में कहा है कि मजदूरों से बस, ट्रेनों का किराया नहीं लिया जाएगा। कोर्ट ने Decision दिया कि राज्य सरकारें मजदूरों का किराया देंगी। शीर्ष अदालत ने Decision कि राज्य सरकारें मजदूरों की वापसी में तेजी लाएंगी।
कोर्ट ने पूछा अबतक क्या किया गया?
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार और देश भर के राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार बताए कि अभी तक प्रवासी मजदूरों के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने कहा है कि अभी तक के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। प्रवासी मजदूरों के लिए ये कठिन दौर है और इस स्थिति से उबारने के लिए प्रभावकारी ठोस कदम उठाने की जरूरत है। आज की सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार ये कैसे सुनिश्चित करेगी कि कोई भी प्रवासी मजदूर से जाने के पैसे नहीं मांगेगा। केंद्र ने साथ ही कहा कि जो मजदूर पैदल जा रहे हैं वे अवसाद या कारणों से ऐसा कर रहे हैं।
क्या ठीक से भोजन दिया गया?
शीर्ष अदालत ने कहा कि क्या बड़ी संख्या में यात्रा कर रहे श्रमिकों को ठीक से भोजन दिया गया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र के वकील से पूछा, क्या उन्हें किसी भी स्तर पर टिकट के लिए भुगतान करने के लिए कहा गया है .. चिंता यह है कि राज्य सरकार भुगतान कैसे कर रही है? क्या श्रमिकों को पैसे देने के लिए कहा जा रहा है?
इंतजार के समय भोजन मिला?
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि क्या इन लोगों को बाद में प्रतिपूर्ति की जाएगी? अदालत ने पूछा कि जब वे ट्रेनों में जाने के लिए इंतजार कर रहे थे, तो क्या उन्हें भोजन मिला? सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा, उन्हें भोजन मिलना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया कि उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
सरकार प्रयास नहीं रोकेगी
केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता ने कहा कि हर दिन लगभग 3.36 लाख प्रवासियों को स्थानांतरित किया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार अपने प्रयासों को तब तक नहीं रोकेगी, जब तक कि अंतिम प्रवासी को उसके गृह राज्य में वापस नहीं भेज दिया जाता।
कईयों को लाभ नहीं मिला
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने कहा कि कोई संदेह नहीं है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने कदम उठाए हैं, लेकिन कई ऐसे व्यक्ति भी हैं, जिन्हें इसका लाभ नहीं मिल पाया।
देश के विभिन्न भागों में फंसे प्रवासी मजदूरों की दयनीय हालत और उनकी समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को स्वत: संज्ञान लिया था। श्रमिकों की दुर्दशा से जुड़े इस मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को अदालत ने यह टिप्पणी की।
और ट्रेनें चलाई जानी चाहिए
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सिर्फ 3 फीसदी ट्रेन का इस्तेमाल हो रहा है और ट्रेनें चलाई जानी चाहिए। ताकि प्रवासी मजदूरों को घर भेजा जा सके।एक अन्य वकील वरिष्ठ इंदिरा जयसिंह ने कहा कि सिर्फ 3 फीसदी ट्रेनों का इस्तेमाल हो रहा है और चार करोड़ मजदूर हैं। ज्यादा ट्रेन चाहिए।
मजदूरों को भेजने में लगेंगे 3 और महीने
सिब्बल ने कहा पिछली जणगणना में 3 करोड़ प्रवासी मजदूर थे। अब 4 करोड़ हो चुके हैं। सरकार ने 27 दिन में 91 लाख भेजे हैं। इस तरह तो चार करोड़ को भेजने में तीन महीने और लगेंगे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सिब्बल कैसे कह सकते हैं कि सभी जाना चाहते हैं। तब सिब्बल ने कहा कि आपको कैसे पता कि नहीं जाना चाहते?
बिहार बोला- 10 लाख मजदूर सड़क से आए
बिहार सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि उसके यहां 10 लाख प्रवासी मजदूर सड़क से आए हैं। बता दें कि बिहार के लिए सैकड़ों श्रमिक ट्रेनें भी चल रही हैं।
‘अभूतपूर्व संकट पर अभूतपूर्व कदम’
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ पेश Solicitor General तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि यह अभूतपूर्व संकट है और हम अभूतपूर्व कदम उठा भी रहे हैं।
राज्यों ने प्रवासी मजूदरों को प्रवेश से रोका?
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि प्रवासी मजदूरों को टिकट कौन दे रहा है, उसका भुगतान कौन कर रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टिकट के पेमेंट के बारे में कंफ्यूजन है और इसी कारण मिडिल मैन ने पूरी तरह से शोषण किया है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि ऐसी घटनाएं हुई हैं कि राज्य ने प्रवासी मजदूरों को प्रवेश से रोका है। तब सॉलिसिटर ने कहा राज्य सरकार लेने को तैयार है। कोई भी राज्य प्रवासी के प्रवेश रोक नहीं सकता। वह भारत के नागरिक हैं।
चलती रहेंगी ट्रेंने
केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार मजदूरों के लिए काम कर रही है लेकिन राज्य सरकारों के जरिए उनतक नहीं पहुंच रही है, कुछ दुर्भाग्यपूर्ण घटानएं हुई हैं। सॉलिसिटर जनरल ने कहा केद्र सरकार ने तय किया है कि प्रवासी मजदूरों को शिफ्ट किया जाएगा, सरकार तब तक प्रयास जारी रखेगी जब तक एक भी प्रवासी रह जाते हैं तब तक ट्रेन चलती रहेंगी।
’91 लाख मजदूर जा चुके हैं गांव’
तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने अभी 3700 ट्रेने प्रवासी मजदूरों के लिए चला रखीं है, अभी तक 91 लाख प्रवासी मजदूर अपने गांव जा चुके हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पड़ोसी राज्यों के सहयोग से 40 लाख को सड़क से शिफ्ट किया गया है। मेहता ने कहा कि एक मई से लेकर 27 मई तक कुल 91 लाख प्रवासी मजदूर शिफ्ट किए गए हैं
10 दिन में मजदूरों को घर भेजना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जब पहचान सुनिश्चित हो जाती है कि प्रावसी मजदूर हैं तो उन्हें भेजने में कितना वक्त लगता है। उन्हें हफ्ते 10 दिन में भेजा जाना चाहिए। इसपर केंद्र के वकील ने कहा कि अभी तक एक करोड़ से ऊपर प्रवासी मजदूर भेजे जा चुके हैं। जो पैदल जा रहे हैं वह अवसाद और अन्य कारणों से ऐसा कर रहे हैं।
सिब्बल बोले-4 करोड़ दिया दान
केंद्र सरकार की तरफ से पेश मेहता ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट को राजनीतिक मंच नहीं बनाया जाना चाहिए। इसपर याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह मानवीय आपदा है। तब मेहता ने पूछा कि आपका इस आपदा से निपटने के लिए क्या योगदान है। फिर सिब्बल बोले। 4 करोड़ रुपये। ये मेरा योगदान है।
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