1045 पन्नों का है फैसला, 116 पन्नों में एक जज की राय अलग
अयोध्या विवाद पर पूरा फैसला 1045 पन्नों का है।
इसमें 929 पन्ने एक मत से हैं जबकि 116 पन्नें अलग से हैं।
जिसे मुख्य फैसला कहा जा रहा है उसमें सभी जजों की एक राय है।
अयोध्या विवाद पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपना फैसला सुना दिया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित पूरी 2.77 एकड़ जमीन रामलला को दे दी है।
पूरा फैसला 1045 पन्नों का है।
929 पन्नें एक मत से हैं जबकि 116 पन्नें अलग से हैं।
एक जज ने फैसले से अलग राय जताई है।
अभी जज के नाम का कोई जिक्र नहीं है।
बता दें कि पांचों जजों के बीच जिन मुद्दों पर एक मत था उन्हें 929 पन्नों में जगह दी गई है।
जिस एक जज की राय किसी मुद्दे को लेकर अलग थी उनकी बात को अलग से 116 पन्नों में जगह दी गई है।
जिसे मुख्य फैसला कहा जा रहा है उसमें सभी जजों की एक राय है।
विवादित जमीन रामलला की
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित जमीन रामलला की है।
इस मामले में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि तीन पक्ष में जमीन बांटने का हाई कोर्ट फैसला तार्किक नहीं था.।
सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाए।
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को भी वैकल्पिक ज़मीन देना ज़रूरी है।
तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे
कोर्ट ने कहा कि ”केंद्र सरकार तीन महीने में ट्र्स्ट बना कर फैसला करे।
ट्रस्ट के मैनेजमेंट के नियम बनाए, मन्दिर निर्माण के नियम बनाए।
विवादित जमीन के अंदर और बाहर का हिस्सा ट्रस्ट को दिया जाए।”
कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की वैकल्पिक ज़मीन मिले।
या तो केंद्र 1993 में अधिगृहित जमीन से दे या राज्य सरकार अयोध्या में ही कहीं दे।
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