मां की तलाश में बेटी सात समुंदर पार भारत पहुंची, छह वर्ष की उम्र में हुआ एहसास
इन दिनों में पेट्रीसिया एरिक्सन नाम की एक महिला काफी चर्चा में है
मां की तलाश में बेटी सात समुंदर पार भारत पहुंची, छह वर्ष की उम्र में हुआ एहसास
इन दिनों में पेट्रीसिया एरिक्सन नाम की एक महिला काफी चर्चा में है. आपको बता दें की पेट्रीसिया एरिक्सन स्वीडन की रहने वाली 41 वर्ष की महिला हैं . पेट्रीसिया एरिक्सन का जन्म फरवरी 1983 को नागपुर के डागा अस्पताल में हुआ था उनके जन्म के एक साल बाद एक स्वदेशी जोड़े ने उन्हें गोद ले लिया था. पेट्रीसिया काफी सालों से अपनी बायोलॉजिकल मां की खोज कर रही हैं जिसके कारण उन्हें कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा था लेकिन उसके बावजूद भी
पेट्रीसिया ने अपनी मां को खोजने का संकल्प ले लिया है ऐसा नहीं है की वह अपनी गोद लेने वाली मां की आभारी नहीं है लेकिन वे अपनी बायोलॉजिकल मां से मिलने की इच्छा रहती भी रखती हैं. इस तलाश के लिए उन्होंने एडवोकेट अंजली पवार से बात की और अब अंजली पवार उनकी उनके मां को ढूंढने में सहायता कर रहीं हैं
पेट्रीसिया को अपनी मां से मिलना का एहसास कब हुआ
स्वीडन से महाराष्ट्र आने के बाद रिपोर्ट्स ने पेट्रीसिया से पूछा की आपको अपनी मां से मिलने का एहसास कब हुआ आपको कब ये एहसास कब हुआ कि जिन्होंने आपको इतने सालो से पाला है वो उनकी जन्म देने वाली मां नही हैं तब उन्होंने बताया कि जब वे छह वर्ष की थीं तब उनके स्कूल के बच्चे बातें करते थे स्कूल में बच्चे बात करते थे कि उनकी नाक या बाल उनकी मां या पिता जैसे हैं, तब मुझे एहसास हुआ कि मैं तो ऐसा नहीं बोल सकती. एक बच्चे के नजरिए से आप अपनी तुलना अपनी मां से नहीं कर सकते. आपको ऐसी स्थिति में रखा जाता है जहां आप किसी और की तरह नहीं दिखते हैं. यहां से मेरी सोच शुरू हुई. मैं उम्मीद करती हूं की आगे सब अच्छा होगा और प्रार्थना करती हूं की मुझे मेरी मां जल्द मिल जाए.
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एडवोकेट अंजली पवार कर रहीं पेट्रीसिया की सहायता
पेट्रीसिया की सहायता एडवोकेट अंजली पवार कर रहीं हैं उन्होंने कहा कि जो कोई भी 1983 में शांति नगर में रहता था या शांता और रामदास के बारे में जानता है तो उन्हें आगे आना चाहिए और हमारी मदद करनी चाहिए. पेट्रीसिया अपनी मां से मिलना चाहती हैं और हमे उन्हें उनकी मां से मिलवाने की सहायता करनी चाहिए.
पेट्रोसिय भारत आने वाली पहली बेटी नहीं है
गौरतलब है कि पेट्रोसिया पहली नहीं है जो अपनी मां को ढूंढने भारत आई हैं, भारत में लगभग हर साल ऐसा मामला देखने को मिलता है कि अपनी मां या पिता की तलाश में बच्चे आए भारत, आपको बता दें कि पिछले साल स्विस महिला विद्या फिलिपोन भी मुंबई में अपनी जन्म देने वाली मां की तलाश कर रही थीं. और लगभग एक वर्ष तक वह अपनी मां को खोजती रहीं उनकी मां ने उन्हें मिशनरीज ऑफ चैरिटी में छोड़ दिया था. फिर उन्हें एक स्विस जोड़े ने गोद ले लिया और स्विट्जरलैंड ले आए.
Written By: Tanisha Srivastava