जान का खतराः संघ प्रमुख की सुरक्षा Z प्लस से बढ़ाकर हुई ASL..

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की जान के खतरे को लेकर आईबी ने अलर्ट जारी किया है. इसके बाद केंद्र सरकार ने संघ प्रमुख के सुरक्षा घेरे को और भी मजबूत कर दिया है. इसके चलते गृह मंत्रालय ने उनके सुरक्षा घेरे को जेड प्लस से बढाकर एडवांस्ड सिक्योरिटी लिएजॉन यानी (ASL) में तब्दील कर दिया है. यह सुरक्षा वर्तमान समय में सिर्फ पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को ही मिली हुई है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले ही आरएसएस प्रमुख भागवत की सुरक्षा में वृद्धि का निर्णय लिया गया था. अभी तक, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) द्वारा प्रदान की गई जेड-प्लस श्रेणी की सुरक्षा संघ प्रमुख के पास थी.

आईबी ने भेजा था खतरा अलर्ट

रिपोर्ट के अनुसार, आईबी ने मोहन भागवत को एक खतरा अलर्ट भेजा था, जिसके बाद यह सुरक्षा बढ़ाई गई है. नई सुरक्षा के बाद CISF की टीम पहले से ही उस स्थान पर होगी जहां मोहन भागवत जाएंगे. फिलहाल उनकी सुरक्षा में 58 कमांडो क्लॉक वाइज तैनात रहेंगे. बता दें कि ASL स्तर की सुरक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्ति की सुरक्षा से संबंधित जानकारी के लिए जिला प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य और अन्य स्थानीय निकायों का सहयोग अनिवार्य है. इसमें बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा होता है. साथ ही चॉपर यात्रा केवल विशेष रूप से बनाए गए हेलीकॉप्टरों में की जा सकती है. इसके लिए अलग-अलग प्रोटोकॉल हैं.

गृह मंत्रालय के आदेश पर हुई कार्रवाई

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, गृह मंत्रालय को कुछ राज्यों में भागवत की सुरक्षा में कमी की सूचना मिली थी. इसके बाद नए सुरक्षा प्रोटोकॉल बनाए गए और उनकी सुरक्षा बढ़ाई गई.माना जाता है कि, कई भारतविरोधी संगठनों ने उन्हें निशाने पर रखा है. गृह मंत्रालय ने बढ़ती चिंता और कई एजेंसियों से मिली जानकारी के बाद भागवत को एएसएल सुरक्षा देने का निर्णय लिया है. साथ ही सुरक्षा को बढ़ाने के बारे में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जानकारी दे दी गयी है.

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जेड-प्लस सुरक्षा में लगे थे 60 कमांडो

जून 2015 में आरएसएस प्रमुख को जेड-प्लस सुरक्षा दी गयी थी जिसमें सीआईएसएफ के 60 कमांडो तैनात थे. इसके पूर्व साल 2012 में यूपीए सरकार ने भी उन्हें जेड-प्लस सुरक्षा देने का आदेश दिया था, लेकिन केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने कर्मचारियों और वाहनों की कमी का हवाला देते हुए ऐसा नहीं कर सका था. उस समय देश के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे थे.

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