Cyclone Hamoon ने बांग्लादेश में मचाई तबाही, जाने कैसे आखिर कैसे रखा जाता है तूफानों का नाम?
इन दिनों बांग्लादेश के समुद्रतट से टकराए हमून तूफान की ने बांग्लादेश के कई इलाकों में तबाही मचाई हुई है। जानकारी के अनुसार, हमून तूफान की चपेट में आने से तीन लोगों की मौत हो गई है, सैकड़ो की संख्या में लोग प्रभावित है। तूफान के बढते खतरे को देखते हुए बांग्लादेश प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्य में लगा हुआ है, प्रभावित इलाकों से लोगो को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है। हालांकि, अब हमून तूफान की रफ्तार कुछ कम पड़ गयी है और भारत के मिजोरम के दक्षिण में एक दबाव के रूप में मौजूद है, चक्रवाती तूफान की वजह से मिजोरम मे तेज हवाएं और बारिश का कहर देखने को मिल रहा है।
इन सबके दौरान कभी आप ने सोचा है कि, कभी सुनामी, निसर्ग, अर्नब, आग, व्योम, अजार, तेज, गति, पिंकू और लूलू आदि ऐसे कई सारे तूफानों के नाम आखिर कौन रखता होगा और क्यों ? इसके साथ ही इन नामों को कैसे तय किया जाता है, आज हम आपको बताने जा रहे है कैसे रखे जाते है तूफानों के नाम, आइए जानते है….
कैसे और कौन देता है तूफानों को नाम ?
विश्व के किसी भी महासागरीय बेसिन में बनने वाले तूफान का नाम क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्र और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्र द्वारा दिया जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग दुनिया में छह RSMC में से एक है। 2000 से, एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग और विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने चक्रवाती तूफानों का नामकरण किया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग खाड़ी सहित उत्तर हिंद महासागर में बनने वाले चक्रवातों का नाम है। बांग्लादेश और अरब सागर के यह भी चक्रवात और तूफान के विकास पर 12 क्षेत्रीय देशों को सलाह देता है।
क्यों रखा जाता है नाम और कब से हुई तूफान के नामकरण की शुरूआत ?
साल 2000 के बाद से भारत और उसके पड़ोसी देशों में तूफानों का नाम रखें जाने की शुरूआत की गयी थी, तूफान के नामकरण करने वाले देशों में भारत समेत बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाइलैंड शामिल हैं। ये सभी देश तूफानों के नाम रखने की सूची तैयार रखते है, इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड मेट्रोलाजिकल आर्गेंनाइजेशन ने चक्रवाती तूफानों के नाम तय करने के लिए कुछ नियम बनाए हैं।
इसके साथ तूफानों का नाम इसलिए रखा जाता है कि, लोग इसे असानी से पहचान और याद रख सके, क्योंकि संख्याओं और तकनीकी नाम को याद रखना बहुत मुश्किल होता है। इसके साथ ही तूफान का नाम रखने से मीडिया, वैज्ञानिक समुदाय और आपदा प्रबंधन समुदाय के लिए अलग-अलग चक्रवातों की पहचान करना और उनकी रिपोर्ट करना, चेतावनियों का प्रसार करना, सामुदायिक तैयारियों को बढ़ाना और कई चक्रवातों वाले क्षेत्रों में भ्रम को दूर करना आसान हो जाता है।
किस आधार पर तय होता है नाम ?
तूफान का नाम उसकी रफ्तार पर तय किया जाता है। आपको बता दें कि, जिस तूफान की गति कम से कम 63 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, उसी तूफान का नाम रखा जाता है। इसके साथ ही जिस तूफान की गति 118 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक होना गंभीर तूफान है, और 221 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक होती है, उसे सुपर चक्रवाती तूफान कहा जाता है।
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तूफान के नाम रखने को लेकर ये है नियम
1. प्रस्तावित नामों को राजनीतिक और राजनीतिक हस्तियों, धार्मिक विचारों, संस्कृतियों और लिंग से कोई संबंध नहीं होना चाहिए।
2. इसे विश्व भर के किसी भी समाज की भावनाओं को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
3. यह क्रूर और कठोर नहीं होना चाहिए।
4. नाम छोटे होना चाहिए, उच्चारण में आसान होना चाहिए और किसी भी सदस्य को परेशान नहीं करना चाहिए।
5: इसमें कम से कम आठ अक्षर और उच्चारण और स्वर होना चाहिए।
6. उत्तर हिंद महासागर के ऊपर बन रहे चक्रवातों का नाम नहीं दोहराया जाएगा। यह एक बार काम करने के बाद फिर से काम नहीं करेगा।