तुलसी मंदिर में उमड़ा गुरु- पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं का सैलाब
वाराणसीः गुरु पूर्णिमा पर्व पर रविवार को तुलसी घाट के तुलसी मंदिर में गुरु पूजन के लिए भक्तों का जैन सैलाब उमर पड़ा. प्रातः काल अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र ने विधि विधान से गोस्वामी तुलसीदास जी के चरण पादुका का पूजा अर्चन किया. इसके पश्चात वह मंदिर में गोस्वामी जी द्वारा स्थापित भगवान श्रीराम श्री हनुमान जी सहित देव विग्रहों का पूजन अर्चन किया. इसी क्रम में काशी सहित दूर-दूर से आए भक्तों ने पूज्य गुरु विश्वम्भर नाथ मिश्रा का विधि विधान से पूजा शुरु किया. भक्तों ने गुरु का माल्यार्पण कर आरती उतारी और उनके चरणों का रज अपने सर पर लगाकर उनसे आशीर्वाद लिया.
अनादि काल से चली आ रही गुरु शिष्य परंपरा
इस अवसर पर अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत ने कहा कि काशी में गुरु शिष्य परंपरा अनादि काल से चली आ रही है . गुरु पूर्णिमा पर शिष्यों द्वारा अपने गुरुओं का पूजा अर्चन किया जाता है . संसार में गुरु ही एक ऐसा है जो अपने शिष्य की हमेशा भलाई चाहता है. यहां तक कि वह अपने पुत्र से बढ़कर अपने शिष्य को मानता है. सच्चा गुरु वही है जो अपने शिष्य के दुर्गुणों को हरण कर उसमें गुण डालकर उसे सही मार्ग दिखाए. तुलसी मंदिर में गुरु का पूजा करने के लिए काशी सहित पूर्वांचल एवं देश के अन्य प्रदेशों से भी काफी संख्या में शिष्य आए हुए थे.
कौन है महंत प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र
बता दें कि महंत प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र विश्व प्रसिद्ध अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास जी के13वें महंत है. इतना ही नहीं प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र कपड़ों के साथ अपना रूप भी बदल लेते है. कहा जाता है कि महंत प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र दिन में पैंट और शर्ट पहनकर वे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी संस्थान में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग पढ़ाते हैं और शाम को वे शहर के प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर के महंत के रूप में सादे धोती और कुर्ते में मंदिर के कामकाज का प्रबंधन करते हैं. अपने पिता वीरभद्र मिश्र की तरह मिश्र ने भी विज्ञान से कठोरता और धर्म से समभाव ग्रहण किया है, लेकिन संगीत के प्रति प्रेम भी उनकी विरासत में शामिल है.
गुरु- पूर्णिमा में दिखी गंगा- जमुनी तहजीब, मुस्लिम महिलाओं ने उतारी गुरु बालक दास की आरती
पहली बार महंत ने संगीत समारोह में दी प्रस्तुति
बता दें कि संकटमोचन संगीत समारोह के मंच पर देश और दुनिया के दिग्गज कलाकार हाजिरी लगा चुके हैं वहीँ, महंत प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र ने पहली बार 101वें साल में गुंदेचा बंधुओं के साथ मंच साझा किया था. ऐसा करने वाले वह अपने दादा के बाद दूसरे महंत बन गए है.