पेट्रोल-डीजल में लगी ‘मंहगाई की आग’, कुछ नहीं कर पा रही मोदी सरकार
देश की सत्ता में जब से बीजेपी आई है तब से महंगाई आसमान छू रही है, कभी टमाटर , प्याज, तो कभी लोगों की थाली से दाल गायब हो रही है। लेकिन मोदी सरकार जो हमेशा से कहती आ रही थी कि उसके सत्ता में आने के बाद महंगाई पर लगाम लगेगी वो आज तक नहीं हुआ है क्योंकि महंगाई कम होने के बजाय आसमान छू रही है। महंगाई का ये आलम है कि आज के समय में डीजल-पेट्रोल की कीमत आसमान छू रही है। जिसको लेकर विपक्ष के साथ ही देश की जनता भी मोकी सरकार पर सवाल खड़े कर रही है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने अंतर्राष्ट्रीय बजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट का हवाला देते हुए पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम करने की मांग की है। पार्टी के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ के संपादकीय में कहा गया कि भारत में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतें नई ऊंचाइयों पर हैं।
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विभिन्न शहरों में पेट्रोल की कीमत 70 रुपये लेकर 79 रुपये प्रति लीटर तक है, यानी औसतन 74 रुपये प्रति लीटर है। डीजल की कीमत 61-62 रुपये प्रति लीटर है। दैनिक संशोधन मूल्य पेश होने के बाद से एक जुलाई से पेट्रोल की कीमतें 6.17 प्रति लीटर बढ़ गई।
संपादकीय में कहा गया, “उत्पाद शुल्क में तेजी से और लगातार वृद्धि का कोई औचित्य नहीं है। पेट्रोल और डीजल के करों में पर्याप्त कटौती होनी चाहिए और लोगों को कम हुए दामों का लाभ जरूर मिलना चाहिए।” इसमें कहा गया है कि भारत ने अपनी तेल जरूरतों का 85 फीसदी आयात किया है और इसलिए कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत का घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर सीधा असर पड़ा।
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