संविधान दिवस : डॉ. अंबेडकर का वो सवा लाख शब्दों वाला आर्किटेक्चर जिसपर टिकी है दुनिया के सबसे बड़े डेमोक्रेसी की बुनियाद

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हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है, जो भारत के संविधान की महत्ता और उसकी भूमिका को याद करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है. 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को अपनाया गया था और यह देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए एक स्थायी ढांचा प्रदान करता है. इस दिन को संविधान सभा में संविधान की स्वीकृति मिलने के दिन के रूप में मनाया जाता है और यह भारत के लोकतांत्रिक संस्थानों की मजबूती का प्रतीक है. ऐसे में आज हम संविधान दिवस के अवसर पर हमारे देश के संविधान के बारे में कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं….

भारत के संविधान से जुड़ी कुछ रोचक बातें:

दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान

भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. इसमें 448 धाराएं, 12 अनुसूचियां, और 117,369 शब्द हैं, इसे 2 साल, 11 महीने और 18 दिन की लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार किया गया था.

डॉ. भीमराव अंबेडकर का योगदान

भारतीय संविधान के मुख्य आर्किटेक्ट डॉ. भीमराव अंबेडकर को माना जाता है. उन्होंने संविधान निर्माण की प्रक्रिया का नेतृत्व किया और इसके मसौदे की तैयारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

संविधान का उद्घाटन भाषण

भारतीय संविधान का उद्घाटन भाषण डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में दिया था. यह भाषण भारतीय लोकतंत्र की नींव और हमारे संविधान के उद्देश्य को स्पष्ट करता है.

संविधान की भाषा

भारतीय संविधान की प्रमुख भाषा अंग्रेजी है, लेकिन इसे हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवादित किया गया है. संविधान की मूल प्रति अंग्रेजी में है और इसे 22 भारतीय भाषाओं में आधिकारिक रूप से प्रकाशित किया गया है.

समाज के सभी वर्गों का संरक्षण

भारतीय संविधान में विभिन्न वर्गों के अधिकारों का विशेष ध्यान रखा गया है. इसमें समाज के कमजोर वर्गों, जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, ताकि उन्हें समान अवसर और संरक्षण मिल सके.

संविधान के संशोधन का अधिकार

भारतीय संविधान में संशोधन की व्यवस्था भी है. संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत इसे समय-समय पर बदला जा सकता है, जिससे यह संविधान देश की बदलती जरूरतों के अनुसार उपयुक्त रहता है.

संविधान की प्रस्तावना

भारतीय संविधान की प्रस्तावना को विशेष महत्व दिया गया है, जो इसे एक लोकतांत्रिक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और गणराज्य घोषित करती है. प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय की बात की गई है, जो भारतीय संविधान के मूल आदर्श हैं.

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संविधान की सबसे बड़ी विशेषता

भारतीय संविधान की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह न केवल शासन की संरचना और अधिकारों का निर्धारण करता है, बल्कि यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों की भी रक्षा करता है। भारतीय संविधान में 6 प्रमुख अधिकारों का उल्लेख है, जिन्हें “मूल अधिकार” कहा जाता है, जैसे अधिकारों का संरक्षण, धार्मिक स्वतंत्रता, और समानता.

संविधान सभा का गठन

संविधान सभा का गठन 1946 में हुआ था और इसमें कुल 299 सदस्य थे. यह सभा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न नेताओं, विचारकों और प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व करती थी, जो संविधान के निर्माण के दौरान भारतीय समाज की विविधता और जरूरतों को ध्यान में रखते थे.

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