कांग्रेस की कछुआ चाल पीएम मोदी के लिए बन सकती है खतरे की घंटी

कोई रार नहीं, लेकिन हार भी नहीं मान रहे कांग्रेस के प्रत्याशी अजय राय

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बड़ी जनसभा व रोड शो का भरोसा छोड़ नुक़्कड़ सभाओं पर किया है फोकस

अब के मतदाता बचपन में कछुआ व खरगोश की कहानी जरूर सुने होंगे. हालांकि, यह जरूरी नहीं कि हर रेस में खरगोश हार ही जाए, लेकिन इस चाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. इंडी गठबंधन की ओर से वाराणसी संसदीय सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व प्रत्याशी अजय राय ने इसी रणनीति को अपनाया है. जब तक कांग्रेस के बड़े नेता पूर्वांचल का रुख नहीं कर रहे और वाराणसी में एक भी जनसभा व रोड शो आयोजित नहीं हो रहा तब तक अजय राय छोटी-छोटी नुक्कड़ सभा को तरजीह दे रहे हैं. माहौल भी बनने लगा है. हालांकि, जीत को लेकर अजय राय की ओर से दावा जरूर किया जा रहा है लेकिन यह अब भी दूर की कौड़ी मानी जा रही है.

हां, यह जरूर है कि इससे पीएम मोदी के मिले मतों को काफी हद तक प्रभावित किया जा सकता है. इसे साधने के लिए अजय राय ने यह रणनीति अपनाई है. इसके तहत अजय राय बीएचयू के आसपास की विभिन्न कालोनियों के रहनवारों को लहुराबीर स्थित अपने केन्द्रीय कार्यालय परिसर में बुलाया. उन्होंने कहा कि बाहर से आयातित नेतृत्व काशी की आत्मा के मर्म से कभी जुड़ नहीं सका. इसलिये वर्ष 2009 से ही मैंने ऐसी राजनीति का काशी में विरोध किया. अब समय के अनुभवों के साथ जनमत खुद बदला है और मेरे संघर्ष के सवालों को लोग सही मानने लगे हैं. आज बनारस की राजनीति ही नहीं, आर्थिक क्षेत्र भी प्रांत विशेष की कृपा की मोहताज बनकर रह गई है. हमारी लोगों से अपील है कि मेरा चुनाव खुद अजय राय बन कर लड़ें और शीर्ष सत्ता को परास्त करने का इतिहास एक बार फिर काशी के खाते में दर्ज करें.

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मार्निंग वॉक को भी बनाया चुनावी प्रचार का हथियार

अजय राय ने मार्निंग वॉक को भी अपने चुनावी प्रचार का हथियार बनाया है. शुक्रवार की सुबह मैदागिन स्थित कंपनी बाग पहुंच गए थे. वहां मार्निंग वॉक के लिए आए नागरिकों के बड़े समूह से मुलाकात की. काशी के स्वाभिमान के लिए कांग्रेस के पक्ष में मतदान की अपील की. अजय राय ने कहा है कि मेरे बारे में जनमत को गुमराह करने, मेरी राजनीतिक निष्ठा खरीदने, उसके लिये मुझ पर दबाव व दमन के सभी हथकंडे अपनाने का काम सत्ता खेमे से हुआ, लेकिन न मैं टूटा और न झुका. जनहित में संघर्ष की राजनीति करता रहा हूं और उससे मुझे कोई डिगा नहीं सकता. सत्ता से निर्भय टकराने की शक्ति लोगों से मिलती रही है और कभी कुछ ग़लत नहीं किया, इसलिये संघर्ष की राजनीति में भयग्रस्त नहीं हुआ.

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