लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत की ओर से बाबरी मस्जिद को ध्वस्त करने के षड्यंत्र के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, जिसका कांग्रेस ने विरोध किया है। कांग्रेस का कहना है कि इस फैसले के खिलाफ सरकार की ओर से उच्च अदालत में अपील दायर की जानी चाहिए। कांग्रेस ने कहा है कि अदालत का फैसला भारत की शीर्ष के फैसले के विपरीत है, क्योंकि भाजपा-आरएसएस (भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) मस्जिद को ध्वस्त करने की साजिश का हिस्सा थे।
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में निर्णय
मीडिया को संबोधित करते हुए, कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी अभियुक्तों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ-साथ संवैधानिक भावना के अनुरूप है।”
सुरजेवाला ने बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के प्रतिकूल करार देते हुए कहा, “संविधान, सामाजिक सौहार्द व भाईचारे में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति उम्मीद व अपेक्षा करता है कि विशेष अदालत के इस तर्कविहीन निर्णय के विरुद्ध प्रांतीय व केंद्रीय सरकार उच्च अदालत में अपील दायर करेगी तथा बगैर किसी पक्षपात या पूर्वाग्रह के देश के संविधान और कानून का अनुपालना करेंगी।”
यह कानून के शासन और हमारे संविधान की सच्ची पुकार है- सुरजेवाला
सुरजेवाला ने कहा, “यह कानून के शासन और हमारे संविधान की सच्ची पुकार है।”
उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ के नौ नवंबर, 2019 के निर्णय के मुताबिक बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक गैरकानूनी अपराध था, पर विशेष अदालत ने सभी दोषियों को बरी कर दिया। विशेष अदालत का निर्णय साफतौर से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के भी प्रतिकूल है।”
विशेष अदालत का निर्णय
सुरजेवाला ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सभी दोषियों को बरी करने का विशेष अदालत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय व संविधान की परिपाटी से परे करार दिया।
उन्होंने कहा, “पूरे देश ने किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करने के लिए देश के सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे को नष्ट करने के लिए भाजपा-आरएसएस और उसके नेताओं द्वारा गहरी राजनीतिक साजिश को देखा।”
सुरजेवाला ने आरोप लगाया, “पूरा देश जानता है कि भाजपा-आरएसएस व उनके नेताओं ने राजनैतिक फायदे के लिए देश व समाज के सांप्रदायिक सौहाद्र्र को तोड़ने का एक घिनौना षडयंत्र किया था। उस समय की उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार भी सांप्रदायिक सौहाद्र्र भंग करने की इस साजिश में शामिल थी।”
सुरजेवाला ने कहा, “यहां तक कि उस समय झूठा शपथ पत्र देकर सुप्रीम कोर्ट तक को बरगलाया गया। इन सब पहलुओं, तथ्यों व साक्ष्यों को परखने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को गिराया जाना गैरकानूनी अपराध ठहराया था।”
सुरजेवाला ने कहा, “लेकिन, फिर भी विशेष अदालत ने किसी को दोषी नहीं पाया।”
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