सड़क हादसे में खोया जवान बेटा, तो 72 की उम्र में संभाली ट्रैफिक सुधारने की कमान
बाहों में खून से लथपथ एकलौता जवान बेटा, दर्द से कहराते हुए अपनी आंखों के सामने घर के चिराग को बुझता देखने का वो मंजर किसी भी बाप की छाती को छलनी कर सकता है। कुछ ऐसा ही दर्द 72 वर्षीय बुजुर्ग को झकझोर कर गया। उस दिन के बाद से उन्होंने कसम खाई कि जिस दौर से वो गुजरे कोई और न गुजरे।
सड़क दुर्घटना में खो दिया था बेटा
हम बात कर रहे हैं दिल्ली निवासी गंगा राम की…जिनके कलेजे का टुकड़ा डावांडोल यातायात व्यवस्था की बलि चढ़ गया। तीन साल पहले गंगाराम के एकलौते बेटे की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इसके बाद 72 वर्षीय गंगाराम ने ट्रैफिक संभालने का बीड़ा उठाया ताकि किसी और की औलाद सुरक्षित रहे दरअसल, गंगाराम के एकलौते बेटे की सड़क पार करते वक्त मौत हो गई थी।
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बेटे की मौत के बाद से गंगाराम ने कसम खा ली कि भले ही खराब यातायात व्यवस्था के कारण उन्होंने अपना इकलौता बेटा खो दिया पर वो किसी और के घर का चिराग बुझने नहीं देंगे। इसके बाद से गंगाराम ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। बीते दिनों ही देशभर में सड़क सप्ताह का आगाज हुआ जिसके अंतर्गत राजधानी दिल्ली में पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने 319 वालंटियरों के साथ ट्रैफिक सेंटिनल स्कीम की शुरुआत की है।
इसके तहत 319 वालंटियर अपनी इच्छा से ट्रैफिक पुलिस को यातायात प्रबंधन और नियंत्रण में अपनी सहायता देंगे। इन वालंटियर्स में से एक हैं गंगाराम, जिनकी उम्र 72 साल है लेकिन उनकी अपने काम के प्रति निष्ठा किसी नौजवान से कम नहीं है। गंगाराम प्रतिदिन अपने मैकेनिक के काम के साथ भागती दौड़ती दिल्ली की ट्रैफिक को भी कंट्रोल करते हैं। 72 साल के इस बुजुर्ग को दिल्ली का ट्रैफिक संभालते देख लोग हैरान रह जाते हैं।
दिल्ली पुलिस ने भी गंगाराम के इस प्रयास को सराहा है। असल में गंगाराम एक पिता के साथ साथ ऐसे नागरिक के रूप में उभरे हैं जिन्होंने अपने बेटे को तो खो दिया लेकिन अब 72 साल की उम्र में दूसरों की मदद करने के लिए उनकी औलादों की सुरक्षा कर रहे हैं और लाखों लोगों को जीने की राह दे रहे हैं।
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