सीएम योगी करेंगे यूपी का पहला डेटा सेंटर पार्क का लोकार्पण, जानें इसका इतिहास
उत्तर प्रदेश में बने इस 5000 हजार करोड़ से तैयार ये पहला डाटा सेंटर पार्क शुरू होने के लिए तैयार है। तीन लाख स्क्वायर फ़ीट में फैले इस डाटा पार्क को महज 22 महीने के अंतराल में हीरानंदानी समूह द्वारा बनाया गया है सरकार की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि दीवाली के बाद 31 अक्टूबर में इसका लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ द्वारा किया जाइएगा।
क्या होता है डाटा सेंटर: मालूम हो कि डाटा सेंटर नेटवर्क से जुड़े हुए कंप्यूटर सर्वर का एक बड़ा समूह है। बड़ी मात्रा में डाटा भंडारण, प्रोसेसिंग और वितरण के लिए कंपनियों द्वारा इसका उपयोग किया जाता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म मसलन फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, बैंकिंग, खुदरा, स्वास्थ्य सेवा, यात्रा/पर्यटन और अन्य ट्रांजेक्शन में बहुत अधिक डेटा पैदा होता है, जिसके संग्रहण के लिए डेटा सेंटर की बड़ी उपयोगिता है। वर्तमान में देश का अधिकांश डेटा देश के बाहर संरक्षित किया जाता है। अमेजॉन, एपल, गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट की वित्तीय मजबूती में डेटा का बड़ा योगदान है।
भारत में कुल कितने डाटा सेंटर है: बढ़ती मांग को देखते हुए भारत में 45 नए डेटा केंद्र बनाए जाएंगे, जिसकी क्षमता 1.3 करोड़ वर्ग फुट और 1,015 मेगावाट की होगी। इसके लिए 2025 तक का समय निर्धारित किया गया है। एनारॉक-बिंग्सवेंगर की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अंत तक देश में 2.4 करोड़ वर्ग फुट और कुल आईटी क्षमता के 1,752 मेगावाट के साथ 183 डेटा सेंटर होंगे।
आईटी क्षमता (लगभग 1,015 मेगावाट) के संदर्भ में नई आपूर्ति का 69 प्रतिशत से अधिक केवल मुंबई और चेन्नई में आएगा, उसमें से 51 प्रतिशत तो सिर्फ मुंबई में स्थापित करे की योजना है। वर्तमान में देश भर में 1.1 करोड़ वर्ग फुट में फैले 138 डेटा केंद्र हैं और 737 मेगावाट की आईटी क्षमता (बिल्डिंग तैयार) है। मौजूदा आईटी क्षमता का कम से कम 57 प्रतिशत सामूहिक रूप से मुंबई और चेन्नई में है।
एनारॉक कैपिटल में औद्योगिक और लॉजिस्टिक और डेटा केंद्र के प्रेसिडेंट देवी शंकर ने कहा, “भारत के डेटा सेंटर उद्योग का वर्तमान आकार लगभग 5.6 अरब डॉलर है और यह बढ़ना तय है। वित्त वर्ष 2025 तक देश के कुल अनुमानित डेटा सेंटर की मांग 2,100 मेगावाट होने की उम्मीद है, जिसमें हाइपरस्केलर्स और उद्यमों के बीच का मिश्रण है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में लगभग 2,688 मेगावाट भविष्य की अनियोजित आपूर्ति की अतिरिक्त संभावना है। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, “इस आपूर्ति के लिए जमीन डीसी ऑपरेटरों ने दे दी है, लेकिन परियोजनाओं की वास्तविक मांग और पहले के नियोजित चरणों के परिणाम के आधार पर योजना बनाई जाएगी।”