CEC नियुक्ति समिति से हटा CJI का नाम, क्या केंद्र का नया विधेयक प्रभावित करेगा चुनाव ?
केंद्र सरकार एक के बाद एक चौंकाने वाले बिल लाने का रिकॉर्ड बना रही है। संसद में जब दिल्ली अविश्वास प्रस्ताव पर बहस चल रही है, ठीक उसी समय भाजपा सरकार ने फिर से एक नया विधेयक लाकर सभी को चौंका दिया है। केंद्र सरकार आज राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्त (EC) की नियुक्ति पैनल से CJI का नाम हटाकर नया बिल पास कराने जा रही है। इस विधेयक में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पैनल से सीजेआई का नाम हटाकर केंद्रीय मंत्री सदस्य को शामिल किया गया है। आज राज्यसभा में यह नया विधेयक पेश हो रहा है। केंद्र सरकार ने बड़ी ही चतुराई से संसद में दिल्ली लॉ ऑर्डिनेंस के मुद्दे को सीईसी के नए विधेयक से भटकाने का प्रयास किया है। विपक्ष केंद्र सरकार के इस फैसले को लोकतंत्र की हत्या बताकर विरोध कर रहा है।
SC को कमजोर कर देगा नया विधेयक
केंद्र सरकार आज राज्यसभा में एक ऐसा विधेयक पास कराने जा रही है, जिससे राजनीतिक पार्टियों के साथ देश की दो बड़ी शक्तियां आपस में टकरा सकती हैं। आज अगर राज्यसभा में केंद्र सरकार का यह नया विधेयक पास हो जाता है तो न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच नया टकराव होना संभव है। सरकार के इस विधेयक में चुनाव आयोग चयन समिति से सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को हटा दिया गया है। जबकि इसी साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि मुख्य चनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विपक्ष नेता सदस्य और सीजेआई की सलाह पर होगा। मगर, अब केंद्र सरकार के इस विधेयक ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी चुनौती दे दी है। इस विधेयक के पास होते ही सुप्रीम कोर्ट की ताकत कमजोर हो सकती है।
केंद्र सरकार का नया ‘विधेयक’
केंद्र सरकार आज नया विधेयक राज्यसभा में पेश कर रही है। इस विधेयक में सीजेआई को देश के शीर्ष चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया जा रहा है। इसमें प्रस्ताव है कि मतदान अधिकारियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक पैनल की सिफारिश पर की जाएगी। इस विधेयक के अनुसार, चुनाव आयुक्त के नियुक्ति पैनल में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय कैबिनेट मंत्री सदस्य होंगे। प्रधानमंत्री पैनल की अध्यक्षता करेंगे। वर्तमान विधेयक के अनुसार, अभी तक इस समिति में चीफ जस्टिस भी सलाहकार हैं, लेकिन जब यह विधेयक कानून बन जाएगा तो सीजेआई इस समिति का हिस्सा नहीं होंगे।
नये बिल से फीकी पड़ी अविश्वास प्रस्ताव पर बहस
केंद्र सरकार के इस नये विधेयक के पेश होते ही विपक्ष में हंगामा मच गया है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि भाजपा सरकार अब खुलेआम चुनाव-2024 में धांधली कर रही है। भाजपा आगामी चुनाव को प्रभावित करने के लिए इस विधेयक को आज राज्यसभा में पेश कर रही है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार इस विधेयक को ऐसे समय राज्यसभा में पेश कर रही है, जब देश का ध्यान अविश्वास प्रस्ताव की बहस टिका हुआ है। अविश्वास प्रस्ताव पर बहस को लेकर राज्यसभा में सदन स्थगित करने की स्थिति बनी रहती है। ऐसे में यथासंभव है कि केंद्र सरकार का नया विवादास्पद विधेयक बड़ी सरलता से पास हो जाएगा।
चुनाव-2024 को प्रभावित करने का षडयंत्र
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने कहा है कि बीजेपी खुलेआम 2024 के चुनाव में धांधली कर रही है। मोदी सरकार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेशर्मी से कुचल दिया है और चुनाव आयोग को अपना चमचा बना रही है। उन्होंने कहा कि गुरुवार को राज्यसभा में पेश किए जा रहे एक विधेयक में, मुख्य चुनाव आयुक्त और 2 ईसी की नियुक्ति के लिए चयन समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर एक केंद्रीय मंत्री को शामिल किया गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा था कि समिति में (ए) भारत के मुख्य न्यायाधीश, (बी) पीएम (सी) विपक्ष के नेता शामिल हों। विधेयक में, मोदी सरकार ने CJI की जगह “एक केंद्रीय मंत्री” को शामिल कर दिया है। इस तरह अब, मोदी और 1 मंत्री पूरे चुनाव आयोग की नियुक्ति करेंगे। इंडिया गठबंधन द्वारा भाजपा के दिल में डर पैदा करने के बाद यह 2024 के चुनावों में धांधली की दिशा में एक स्पष्ट कदम है।
नये बिल में CJI का नाम गायब
केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए नए विधेयक के अनुसार, चुनाव आयुक्तों का चयन राष्ट्रपति एक चयन समिति के सिफारिशों के आधार पर करेगा। इस विधेयक के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पैनल में अब सीजेआई को हटाकर निम्न लोगों को शामिल किया जाएगा।
- प्रधानमंत्री- अध्यक्ष
- लोकसभा में विपक्ष के नेता- सदस्य
- प्रधानमंत्री की ओर से नामित एक केंद्रीय मंत्री- सदस्य
कॉलिजियम सिस्टम से भाजपा को आपत्ति
भाजपा सरकार को शुरू से ही कॉलिजियम सिस्टम से आपत्ति रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी कई बार कॉलिजियम सिस्टम को लेकर बयान दे चुके हैं। पीएम मोदी ने इस बात की आलोचना की है कि हमारे देश में एक जज ही दूसरे जज की नियुक्ति करता है। यह भारत देश की विडंबना है। जबकि कॉलिजियम सिस्टम को लेकर सुप्रीम कोर्ट साफ तौर पर कह चुका है कि न्यायिक व्यवस्था को चलाने के लिए यही सबसे बेहतर सिस्टम है। इसमें सरकार का दखल नहीं होना चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा था,’ सिर्फ भारत ही ऐसा देश है, जहां जजों की नियुक्ति जज करते हैं।’
क्या है कॉलिजियम सिस्टम ?
कॉलिजियम के जरिए जजों की नियुक्तियों से लेकर दिल्ली सेवा अधिनियम जैसे विवादास्पद कानूनों तक, कई मुद्दों पर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के बीच खींचतान चल रही है। कॉलिजियम सिस्टम को लेकर सुप्रीम कोर्ट और सरकार के बीच लंबा विवाद चला। तत्कालीन कानून मंत्री किरण रिजिजू का मंत्रालय इस चक्कर में छीन लिया गया। इसी साल 2023 में कॉलिजियम सिस्टम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इसी साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने कहा था कि देश के चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और सीजेआई की सलाह से करेगा।
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