Christmas day : भारत में ईसाई धर्म का क्या इतिहास, जानें क्यों कर दी गयी थी ईसाई प्रचारक हत्या

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Christmas day : दुनियाभर में क्रिसमस का त्यौहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. इसके साथ ही 2.3 प्रतिशत ईसाई जनसंख्या वाले भारत देश में भी आज क्रिसमस आज काफी हर्सोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इसके चलते हर छोटे बड़े चर्चों में भारी भीड़ उमड़ी पड़ी है. इसमें भी कुछ राज्य ऐसे है जहां खासतौर पर क्रिसमस का पर्व मनाया जा रहा है.

इनमें प्रमुख रूप से क्रिसमस नागालैंड, मिजोरम, मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जा रहा है. वहीं अगर ईसाइयों की आबादी की बात करें तो केरल में ईसाइयों की सबसे ज्यादा आबाद है. केरल में ईसाइयों की आबादी का बढ़ना एक ऐतिहासिक घटना है. वहीं क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में ईसाइ धर्म की उत्पत्ति कैसे हुई और कहां बना है भारत का पहला चर्च. आइए क्रिसमस के अवसर पर हम आपको बताते हैं भारत में कैसा रहा है ईसाइ धर्म का इतिहास…..

भारत के दक्षिणी तट पर पहुंचे थे ईसा मसीह के 12 वें शिष्य

52 ईसवी में समुद्र के रास्ते ईसा मसीह के 12 वें शिष्य संत थॉमस ईसाइ धर्म के प्रचार के लिए भारत के दक्षिणी तट पर पहुंचे थे. वे जिस समय भारत में आए थे उस समय यहां चोल वंश का साम्राज्य था. उनकी भारत यात्रा केरल के मालाबार तट से शुरू हुई थी. वे केरल और तमिलनाडु में लगभग 20 साल तक रहे. सेंट थॉमस ने भारत के पलायुर में चर्च की स्थापना की और इसे धर्मस्थल की तरह प्रचारित किया. इसी चर्च को संत थॉमस चर्च के नाम से जाना जाता है. इसीलिए संत थॉमस चर्च को दुनिया का सबसे पुराना चर्च कहा जाता है. इसके बाद उन्होंने भारत में 6 और चर्च की स्थापना की थी, जिसे ईसाइयों के चर्चित प्रार्थनास्थल के तौर पर जाना गया .

इस वजह से चेन्नई में थॉमस की गई थी हत्या

भारत में ईसाइ धर्म को प्रचार – प्रसार करने के बाद संत थॉमस देश के पूर्वी तट पर पहुंचे और फिर चीन की ओर बढ गए. चीन में ईसाइ धर्म का प्रचार करने के बाद वे एक बार फिर भारत लौटे और चेन्नई पहुंचे. फिर धर्म प्रचार के लिए यहीं बस गए और लोगों को ईसाइ धर्म की शिक्षा देने लगे. लेकिन यहां के लोगों को उनका ईसाइ धर्म का प्रचार करना नागवार गुजरा, जिसकी वजह से लोगों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया. यही वजह थी कि चेन्नई को लोगों ने ईसाई धर्म को स्वीकार नहीं किया.

आपको बता दें कुछ मीडियो रिपोर्ट से प्राप्त जानकारी में पता चलता है कि यहां पर लोगों ने न सिर्फ थॉमस का विरोध किया बल्कि उनपर अत्याचर भी किया. इसी का अंजाम हुआ कि, किसी अज्ञात व्यक्ति ने एक गुफा के अंदर थॉमस की हत्या कर दी , जिसके बाद चेन्नई की इस गुफा को थॉमस माउंट के नाम से जाना गया . साल 1523 में पुर्तगालियों ने उनकी कब्र पर चर्च बना दिया. यह चर्च काफी बडी है और यहां पर भारी संख्या में ईसाई धर्म के लोग आज भी पहुंचते है.

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ऐसे बदल गए क्रिसमस के मायने

इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि जिस दौर में सेट थॉमस भारत आए थे, उस समय यूरोप के देशों मे ईसाई धर्म की उत्पत्ति नहीं हुई थी. यूरोपीयन देशों में पहले भारत में ईसाई धर्म की जड़े फैल चुकी थी. आज देश के राज्यों का नजारा ही अलग है. बाजारों में क्रिसमस की जहां रौनक पर्व से पहले ही बिखर जाती है, वहीं इस पर्व के दिन चर्चों में भव्य आयोजन किया जा रहा है और लोग भारी संख्या में इस पर्व को मना रहे हैं….

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