Diwali 2023: सनातन धर्म में दीपावली का विशेष महत्त्व होता है. इस पर्व से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी या रूप चौदस मनाया जाता है जिसे छोटी दिवाली भी कहते हैं. इस बार यह पर्व 11 नवंबर यानि आज मनाया जाएगा. इस दिन सुबह अभ्यंग स्नान किया जाता है. महिलाएं इसमें उबटन लगाकर अपना रूप निखारती हैं. वहीं शाम के समय यमराज के निमित्त दीपदान करने का प्रचलन है.
जैसा कि आप सब जानते है कि यह पर्व धनतेरस के बाद और दीपावली से एक दिन पहले पड़ता है. नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी, काली चतुर्दशी के रूप में भी मनाई जाती है. रूप चतुर्दशी इसलिए क्योंकि इस दिन अपने शरीर में उबटन लगाकर और अच्छे से मल-मल कर स्नान करने के बाद यम देवता यमराज का निमित्त तर्पण इत्यादि करना चाहिए. इसलिए इनको रूप चौदश भी कहा गया है.
क्यों मनाई जाती है नर्क चतुर्दशी?…
सनातन में ऐसा कहा गया कि नरक चौदश का नाम इसलिए पड़ा कि राक्षस राजा नरकासुर पृथ्वी पर लोगों को पीड़ा दे रहा था. इस यातना सहन करने में असमर्थ लोगों ने मदद के लिए भगवान कृष्ण की प्रार्थना की। लोगों की गुहार पर भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर राक्षस को मारकर उसकी जेल से 16 हजार स्त्रियों को छुड़ाया था. उन्हीं नरकासुर को मारने के कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है.
यमराज को प्रसन्न करने का उपाय….
कहते है कि सतियुग में राजा रंतिदेव ने नरक की यातना से बचने के लिए घोर तपस्या कर यमराज को प्रसन्न किया था. इसलिए इस दिन यमराज के निमित्त आटे की दीया बनाकर दीप दान करना चाहिए जिससे यमराज प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल की आशीर्वाद भक्त को देते हैं. पितृ पक्ष में आए हुए पितरगण इस दिन यानी नरक चौदस के दिन पितृ लोक लॉ जाते हैं. इसलिए उन पितरों के निमित्त आटे के 14 दीये दरवाजे पर जलाना चाहिए.
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छोटी दीपावली को क्यों कहते है नर्क चतुर्दशी?…
अक्सर ये सवाल उठता है कि आखिर छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी क्यों कहा जाता है तो आइए जानते हैं इसके पीछे का कारण. हिंदू मान्यता के मुताबिक, इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था. नरकासुर के बंदी गृह में 16 हजार से ज्यादा महिलाएं कैद थीं, जिन्हें भगवान कृष्ण ने आजाद कराया था. तब से इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है.