नहाय – खाय के साथ छठ पूजा आरंभ, जाने पूजन विधि और महत्व ?
चार दिवसीय छठ पर्व की आज से शुरूआत हो गयी है, यह पर्व करोड़ो लोगों की आस्था का पर्व है. मुख्यतः यह पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैय्या की पूजा की जाती है. यह व्रत महिलाएं अपनी संतानों की लंबी उम्र और सुख – समृद्धि के लिए करती है. इस साल यह पर्व 5 नवंबर से 8 नवंबर तक चलने वाला है. इसकी शुरूआत आज से नहाय -खाय के साथ हो रही है. आइए जानते है इसकी विधि और शुभ मुहूर्त..
शुभ मुहूर्त
नहाय खाय के दिन यानी आज सुबह 6:39 बजे सूर्योदय और शाम 5:41 बजे सूर्यास्त होगा. इस दिन पुरुष और महिलाएं छठ पूजा करते हुए गंगा में स्नान करके सूर्य देव की पूजा करते हैं. इसके बाद घर में कद्दू और चने की दाल से खाना बनाया जाता है.
जानें नहाय खाय की विधि
नहाय खाय के दिन प्रातः काल व्रती महिलाएं किसी पवित्र नदी, तालाब या घर में स्नान करती है, इसके बाद पानी में गंगाजल मिलाकर पूरे घर के साथ रसोई की विशेष तौर पर सफाई की जाती है. इसके बाद व्रती पूरे मन और आत्मा से छठ पूजा के नियमों का पालन करने का संकल्प लेकर व्रत शुरू करती है.नहाए-खाए दिन व्रती केवल सादा और सात्विक भोजन ही ग्रहण करती है. आमतौर पर इस दिन चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी बनाई जाती है. भोजन में लहसुन, प्याज या मसालों को नहीं खाया जाता है. वही यह भोजन मिट्टी या कांसे के बर्तनों में खाना पकाया जाता है और लकड़ी या गोबर के उपलों पर खाना पकाना पारंपरिक होता है. इसके बाद व्रती इसे सफाई के साथ ग्रहण करती है, उसके बाद में ही परिवार इस भोजन को ग्रहण करता है.
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छठ पूजा क्यों मनाई जाती है ?
शास्त्रों के मुताबिक, कार्तिक महीने में सूर्य अपनी नीच राशि में होता है, यही वजह है कि इस महीने में सूर्यदेव की विशेष तौर पर उपासना की जाती है. जिससे स्वास्थ्य की समस्याओं का सामना न करना पड़े. वही षष्ठी तिथि का सम्बंध संतान की आयु से होता है, इसलिए षष्ठी तिथि पर सूर्यदेव की पूजा कर संतान प्राप्ति, उसकी लंबी आयु और रक्षा की कामना की जाती है. नहाय खाय इस व्रत की पहले दिन की विधि होती है, जिसके बाद व्रती महिला शरीर और मन की शुद्धता के साथ इस व्रत का शुरू करती है.