कुछ इस तरह से 7 दशक बाद भारत लौटे चीता, जानिए इनका इतिहास
मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर नामीबिया से आए 8 चीता को रिलीज़ कर दिया. बोइंग 747-400 की अनुकूलित विमान में चीतों ने ग्वालियर एयरपोर्ट तक 8,427 किलोमीटर का सफर तय किया. बीते शनिवार को भारत लाये गए चीतों में 5 फीमेल और 3 मेल चीता हैं और उनकी उम्र 2-6 साल के बीच के है. बता दें कूनो नेशनल पार्क के 748 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में कोई भी ह्यूमन सेटलमेंट नहीं है. इनके सबसे करीब कोरिया के साल जंगल है, जहां पर पहले के समय चीता पाए जाते थे.
बता दें भारत के स्वदेशी चीता जो विलुप्त हो चुके थे, वह एशिया के चीता थे और आज के समय वह केवल ईरान में है. साल 1947 में छत्तीसगढ़ के कोरिया डिस्ट्रिक्ट में भारत के आखिरी चीता की मौत हुई थी. कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने देश के आखिरी 3 चीतों का शिकार किया था. उन्होंने कोरिया के बैकुंठपुर से लगे जंगल में शिकार किया था. इसके बाद देश में चीते दिखाई नहीं दिए.
भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही देश में चीता विलुप्त हो चुके थे. जमीनी हकीकत पर चीता दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले जानवर है. इनकी स्पीड की बात करें तो ये 113 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ सकते है.
भारत में चीता का इतिहास…
एक अध्ययन से पता चला है कि चीता पहले बड़े जानवरों (जैसे बाघ और शेर) के साथ जंगल में रहा करते थे. लेकिन, 70 साल पहले ये विलुप्त हो गए थे. मुगलकाल के दौरान चीताओं की फुटप्रिंट्स सबसे ज्यादा भारत में दर्ज की गई है. चीता का शिकार औपनिवेशिक भारत में एक खेल की तरह साबित हो गया था और यही इनके विलुप्त होने का करण बन गया. उस दौरान करीब 200 चीता उस दौरान मारे गए थे.
साल 1952 में भारत सरकार से चीता को आधिकारिक तौर पर विलुप्त घोषित कर दिया था और उसके बाद से चीता को वापस भारत लाने की कोशिश की जा रही थी. उन्हें लाने की कोशिश लगातार साल 1970, साल 2009, साल 2010 और साल 2012 में की गई थी. लेकिन, वह सारी कोशिश नाकाम रही. बहरहाल, पीएम नरेंद्र मोदी ने जुलाई, 2022 में नामीबिया के साथ एग्रीमेंट किया था, जोकि 17 सितंबर को पूरा हो सका.
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