मणिपुर हिंसा से कारोबार में कोहराम, अमेरिका से लेकर सिंगापुर तक असर
मणिपुर में हो रही जातीय हिंसा ने देश की संसद से सड़क तक हिलाकर रख दिया है. संसद में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को भी इस मामले में दखल देना पड़ा है. वहीं इस पूरी घटना ने मणिपुर की अर्थव्यवस्था को भी हिलाकर रख दिया है और इसका असर वहां के कारोबार पर भी दिख रहा है. मणिपुर से कई ऐसी वस्तुएं निर्यात की जाती हैं जिनकी अमेरिका-यूरोप से लेकर सिंगापुर तक भारी मांग है और इस जातीय हिंसा के कारण सामान इन बाजारों तक भी नहीं पहुंच पा रहा है.
मणिपुर के लेरियम, मोइरेंग्फी, लासिंग्फी और फैनेक ऐसे कपड़े हैं जिनकी अमेरिका, यूरोप से लेकर सिंगापुर तक अच्छी मांग है. लेकिन इस जातीय हिंसा के कारण मणिपुर का पूरा निर्यात कारोबार बर्बादी के करीब पहुंच गया है.
राज्य का 80% निर्यात नष्ट हो गया…
हथकरघा उत्पादों के अलावा मणिपुर से कपड़े, औषधि संयंत्र और खाद्य पदार्थ भी अच्छी संख्या में निर्यात किए जाते हैं. नॉर्थ ईस्ट फेडरेशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड (एनईएफआईटी) के उपाध्यक्ष (मणिपुर) एम. चन्द्रशेखर सिंह पल्लेल का कहना है कि राज्य का करीब 80 फीसदी निर्यात इस जातीय हिंसा की भेंट चढ़ गया है.
मैतेई और कुकी मणिपुर में दो जातीय समुदाय हैं, जिनके बीच इस साल मई की शुरुआत में संघर्ष शुरू हुआ था. करीब 3 महीने से चल रहे इस बवाल में अब तक 142 लोगों के मारे जाने की खबर है, जबकि हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित होकर राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं.
मणिपुर और म्यांमार के बीच सड़क मार्ग से व्यापार होता है. यहां से दक्षिण पूर्व एशिया के अन्य देशों में भी सामान पहुंचाया जाता है. इस संघर्ष का असर सड़क मार्ग से होने वाले इस व्यापार पर पड़ा है. मणिपुर का मोरेह भूमि बंदरगाह बंद पड़ा है.
एटीएम-बैंक-रोड सब बंद…
मणिपुर में बैंक और एटीएम सभी बंद हैं. सड़कें बंद होने से ट्रक नहीं चल रहे हैं. मोरेह लैंड पोर्ट पर आवाजाही प्रतिबंधित है. निर्यात प्रभावित होने से राज्य के 4,62,000 बुनकरों की हालत खराब है. वहीं, 2,80,000 से ज्यादा हैंडलूम भी बंद पड़े हैं.
हथकरघा की संख्या के मामले में मणिपुर देश में चौथा स्थान रखता है, जबकि बुनकरों की संख्या के मामले में देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी इसी राज्य में रहती है. जिनका नवी मुंबई और दिल्ली में हैंडलूम इकाइयों का निर्यात तो किसी तरह चल रहा है, लेकिन बाकी की हालत बहुत खराब है. यह कहना है एम. चन्द्रशेखर सिंह पलेल का.
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