यूपीए के वादे का खमियाजा भुगत रही है मोदी सरकार
आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिये जाने के लिए तेलगु देशम पार्टी पार्टी के अध्यक्ष चंद्र बाबू नायडू एड़ी से चोटी के जोर में लग गए है। मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार चन्द्रबाबू एनडीए से अपना रिश्ता तोड़ सकते है।
आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने की मांग पर अड़े तेलुगू देशम पार्टी के अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू एनडीए से अपना नाता तोड़ सकते हैं। केंद्र सरकार में टीडीपी के कोटे के दो मंत्री गुरुवार को ही अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं, तो वहीं राज्य सरकार से बीजेपी के विधायक अपना नाता तोड़ सकते हैं।
दरअसल, जिस दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को अलग किया गया तब यूपीए सरकार केंद्र में थी। यूपीए सरकार ने ही आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने का वादा किया था। लेकिन उसके बाद यूपीए का शासन खत्म हो गया और एनडीए सरकार सत्ता में आ गई। जून 2014 में आंध्र प्रदेश से तेलंगाना के अलग हो जाने के कारण राज्य आर्थिक संकट झेल रहा है। इसी कारण चंद्रबाबू नायडू की मांग लगातार तेज होती जा रही है। मनमोहन सरकार ने आंध्र प्रदेश को 5 साल के लिए विशेष दर्जा देने का वादा किया था।
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मौजूदा वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आंध्र प्रदेश की मांग पर कहा था कि हमें पूरे देश के तौर पर सोचना होगा। कई राज्य ऐसे भी हैं जो आंध्र प्रदेश से कम राजस्व कमा रहे हैं। हालांकि, जेटली ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश को स्पेशल पैकेज देने को तैयार है। लेकिन विशेष दर्जा देने को नहीं। दरअसल, टीडीपी की चिंता इसलिए भी है क्योंकि अगले साल आंध्र प्रदेश में चुनाव है।
घाटा 416 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है
इसके अलावा राज्य वित्तीय संकट से जूझ रहा है तो नायडू के लिए राज्य की जनता को संदेश भी भेजना है। गौरतलब है कि अलग राज्य होने के बाद से ही आंध्र प्रदेश वित्तीय संकट से जूझ रहा है। 2014-15 में आंध्र प्रदेश को 16000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ, तो वहीं 2016-17 में 4598 करोड़ रुपए, 2017-18 में यह घाटा 14682 करोड़ तक पहुंचा. 2018-19 में भी ये घाटा 416 करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
यही कारण है कि टीडीपी विशेष दर्जा की मांग कर रही है। इसके तहत राज्य सरकार को केंद्र की तरफ से फंड दिया जाता है और कुछ अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं। विशेष दर्जा मिलने के बाद किसी योजना में केंद्र से मिलने वाली राशि बढ़ जाती है। ये अनुपात 90:10 होता है, जिसमें 90 फीसदी केंद्र सरकार की ओर से दिया जाता है। दरअसल, बहस का एक मुद्दा यह भी है कि आंध्र प्रदेश सरकार ने किसानों का कर्ज माफ किया हुआ है। जिसके लिए उन्होंने 10 हजार करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया हुआ है।
विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा सबसे पहले 1969 में दिया गया था
यानी एक भारी हिस्सा इसमें ही खर्च हो रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली के अनुसार राज्य बंटवारे के दौरान जिस राशि के लिए कहा गया था उतनी राशि लगभग दी जा चुकी है। अरुण जेटली के अनुसार केंद्र सरकार ने अभी तक 4000 करोड़ रुपए दे दिए हैं, हालांकि इसमें से सिर्फ 139 करोड़ रुपए दिए जाने बाकी हैं। स्पेशल कैटेगरी स्टेटस अथवा विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा सबसे पहले 1969 में दिया गया था।
इस दौरान 5वें वित्तीय आयोग ने तय किया था कि उन राज्यों को केंद्र की तरफ से विशेष सहयोग दिया जाएगा, जो पिछड़े हुए हैं। उस दौरान इस श्रेणी में असम, नगालैंड और जम्मू-कश्मीर को शामिल किया गया था। बाद में इस श्रेणी में आठ और राज्यों को भी शामिल किया गया। इसमें उत्तराखंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, सिक्किम, त्रिपुरा और मिजोरम को शामिल किया गया है।