भगवान के दरबार में जाति का ताला, प्रदर्शन करने पर मजबूर हुई दलित महिलाएं …
कहते है जब सब दरवाजे बंद हो तो इंसान भगवान के दर पर यानी मंदिर पहुंचता है, लेकिन यदि वहां भी जाति का ताला लग जाए तो क्या हो ? ऐसा ही एक जाति का ताला उड़ीसा के केंद्रपाड़ा जिले के एक मंदिर में दलित जाति के लोगों के लिए लगा दिया गया है और कार्तिक महीने में भगवान पर दूध अर्पित करने पर रोक लगा दी गई है. जिसके विरोध में दलित महिलाएं मंदिर के बाहर धरने पर बैठ गई हैं. धरने पर बैठी दलित महिलाओं का आरोप है कि, यह पाबंदी मंदिर के पुजारियों और उच्च जाति के लोगों द्वारा लगाई गई है. आपको बता दें यह मामला केंद्रपाड़ा जिले के मरसाघई खंड अंतर्गत गरजंगा गांव के सिद्धेश्वरी रामचंडी शक्ति मंदिर का है.
प्रदर्शन करने वाली दलित महिलाओं ने आरोपी लोगों के खिलाफ बीते शनिवार को मरसाघई थाने में शिकायत दर्ज कराई है. वे आरोपी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रही हैं जिन्होने दलित वर्ग से आने की वजह से मंदिर में भगवान को दूध चढ़ाने से रोक दिया है.
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, यह पूरा विवाद तब से शुरू हुआ है जब दलित महिलाएं गांव के सिद्धेश्वरी रामचंडी शक्ति मंदिर में भगवान की पूजा करने के लिए पहुंची थीं. इस दौरान मंदिर के पुजारी और वहां पर मौजूद उच्च जाति के स्थानीय लोगों ने दलित महिलाओं को न सिर्फ दूध अर्पित करने से रोका बल्कि पूजा नहीं करने दी.उनसे कहा गया कि, इस मंदिर में केवल उच्च जाति के लोगों को इस तरह से पूजा करने और दूध अर्पित करने का अधिकार है. यह अधिकार उच्च जाति को पारंपरिक रहा है.
अचानक मंदिर में लगाई गई इस पाबंदी को लेकर पहले दोनों पक्षों में काफी विवाद हुआ, लेकिन मामला हल न होकर और ज्यादा उलझ गया. ऐसे में इस पाबंदी पर नाराज दलित महिलाओं ने मंदिर के बाहर बैठकर दूध अर्पित करने को लेकर धरना देना शुरू कर दिया. प्रदर्शन कर रही एक दलित महिला ने बताया है कि, पहले इस मंदिर में पूजा करने और देवता को दूध अर्पित करने पर किसी तरह की पाबंदी नहीं थी, लेकिन कार्तिक माह के दौरान हमें दूध अर्पित करने से रोक दिया गया है. यह भेदभाव हमें आहत कर रहा है, खासकर जब हम गांव में सौहार्दपूर्ण तरीके से रह रहे हैं.
विवाद से गांव में तनाव का माहौल , तैनात किया गया भारी पुलिस बल
गरजंगा गांव में दूध चढ़ाने को लेकर मचे बवाल से गांव में तनाव का माहौल पैदा हो गया है. ऐसे में गांव में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. इस मामले की पड़ताल कर रहे मरसाघई पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक पूर्ण चंद्र पट्टायात ने बताया है कि, ”हमें इस संबंध में शिकायत मिली है. मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं. उच्च जाति और दलितों के वरिष्ठ सदस्यों से बातचीत की जा रही है. पुलिस स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है और गांव में शांति भंग होने की किसी भी आशंका को रोकने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया है. हालांकि, स्थिति अभी नियंत्रण में है.”
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पुजारी ने बचाव में कही ये बात
वही मंदिर के पुजारी निरंजन पधियारी ने इस पाबंदी के आरोप का खंडन किया है और बचाव में कहा है कि, ”दलित महिलाओं द्वारा अर्पित किया गया दूध मंदिर के अनुष्ठानों और देवताओं के स्नान के प्रयोजनों के लिए अशुद्ध माना जाएगा.” वही उड़ीसा दलित समाज की केंद्रपाड़ा जिला इकाई के अध्यक्ष नागेंद्र जेना ने इस प्रथा की निंदा की है और कथित जाति आधारित भेदभाव के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.