बिहार की तर्ज पर अब झारखंड में भी होगी जातीय गणना, चंपई सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में पास किया प्रस्ताव
देश में जातीय सर्वेक्षण की मांग कांग्रेस पिछले काफी समय से कर रही है. राहुल गांधी बीते लोकसभा चुनाव में भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं. उन्होंने रैलियों को संबोधित करते हुए अक्सर ये बयान दिया कि इंडिया अलायंस की सरकार केंद्र में बनने पर जातीय जनगणना कराई जाएगी. हालांकि केंद्र में सत्ता परिवर्तन भले ही न हुआ हो, लेकिन झारखंड की चंपई सोरेन सरकार ने राज्य में जातीय सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है. इसके लिए आज
(19 जून) कैबिनेट मीटिंग में ये प्रस्ताव पास किया गया है.
कैबिनेट मीटिंग में लिया गया फैसला
यह निर्णय सीएम चंपई सोरेन की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया. इसके लिए झारखंड कार्यपालिका नियमावली में संशोधन करते हुए कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग को जातीय सर्वेक्षण का दायित्व सौंपा गया है. कैबिनेट में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि जातीय सर्वेक्षण का उद्देश्य राज्य में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी वर्ग को आनुपातिक समानता का अवसर प्रदान करना है.
तारीख पर अभी फैसला नहीं
कैबिनेट की ओर से पारित प्रस्ताव में फिलहाल यह तय नहीं हुआ है कि जातीय सर्वेक्षण की प्रक्रिया क्या होगी और इसकी शुरुआत कब से होगी. इसकी पूरी रूपरेखा कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग तय करेगा.
बिहार में नीतीश सरकार ने कराया था जातीय सर्वेक्षण
बिहार में जातीय सर्वेक्षण पूरा होने के बाद झारखंड दूसरा राज्य है, जिसने इस तरह का सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है. इसे अक्टूबर-नवंबर में राज्य में संभावित विधानसभा चुनाव के पहले राज्य की झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है. इसके पहले राज्य सरकार ने राज्य में 49 नगर निकायों का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी इनका चुनाव ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत तय करने के नाम पर रोक दिया था.
यह भी पढ़ें- बॉम्बे हाईकोर्ट ने ”हमारे बारह” को दिखाई हरी झंडी, जानें कब रिलीज होगी यह फिल्म ?
सरकार का कहना है कि नगर निकायों के चुनाव में ओबीसी को आरक्षण दिया जाएगा. इसके लिए राज्य के पिछड़ा वर्ग आयोग को ओबीसी आबादी के सर्वेक्षण का दायित्व सौंपा गया है. फिलहाल सर्वेक्षण का कार्य शुरू नहीं हो सका है.